इलाहाबाद 16 नवम्बर, उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर के दादरी में बीफ की अफवाह में मारे गये मो.अखलाक के परिजनों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 45 लाख मुआवजा देने और उसे मकान आवंटित करने के विरोध में दायर जनहित याचिका आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी। याचिका में प्रदेश सरकार द्वारा अखलाक की मृत्यु पर उसे मुआवजा देने को लेकर जारी शासनादेश को रद्द करने की मांग की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने अखलाक के परिजनों को उत्तर प्रदेश पीडि़त मुआवजा योजना-2014 के प्रावधानों के विपरीत जाकर मुआवजा दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डा.डी.वाई.चन्द्रचुड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने यह आदेश आज रितेश चौधरी की जनहित याचिका पर दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि याची ने याचिका में इस मामले के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य नहीं दिया है।मीडिया रिपोर्ट के आधार पर जनहित याचिका दायर की गयी है। गौरतलब है कि गोवंशीय मांस रखने के आरोप में दादरी क्षेत्र के 58 वर्षीय मो.अखलाक की 28 सितम्बर को भीड़ ने हत्या कर दी थी। इसमें उसके 21 वर्षीय पुत्र दानिश भी घायल हो गया था।
अखलाक के परिजनों का कहना था कि भीड़ ने हत्या की घटना को देर तक अंजाम दिया लेकिन इसके बाद भी पुलिस नहीं पहुंची। घटना के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने 50 हजार मुआवजा देने की घोषणा की जिसे शासन ने बढ़ाकर पहले 20 लाख किया और फिर बाद में 45 लाख कर दिया था। याचिका के मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने विरोध किया ।उनका कहना था कि याचिका विद्वेषपूर्ण भावना से ग्रसित होकर दायर की गयी है।
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