पटना,07 नवम्बर, बिहार विधानसभा चुनाव के कल परिणाम घोषित होने के बाद यदि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) को बहुमत मिल गया तो उसके प्रमुख घटक भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के समक्ष मुख्यमंत्री का चयन एक मुश्किल काम होगा । बिहार भाजपा में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं और ऐसी स्थिति में भाजपा के शीर्ष नेताओं के समक्ष किसी एक नाम पर सहमति बनाना कठिन कार्य होगा । एक समय ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को पार्टी बहुमत मिलने की स्थिति में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप देगी ।भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व से ऐसे संकेत यहां मिल रहे थे कि श्री मोदी के नाम पर एक राय है लेकिन बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उसका ताली बजाकर स्वागत नहीं किया । नीतीश कुमार सरकार में श्री मोदी के कैबिनेट सहयोगी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव भी पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के इस फैसले को स्वीकार करने में अनिच्छुक दिखे ।श्री यादव ने राज्य के पथ निर्माण एवं स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर अपने कामकाज से अपने को श्री मोदी के बराबर कद वाला नेता साबित करने की कोशिश की थी । श्री यादव वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं । हालांकि यह देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री के चयन की स्थिति में श्री यादव पर कितना भरोसा करता है ।
श्री मोदी और श्री यादव ही बिहार भाजपा में कद्दावर नेता नहीं हैं,इसकी फेहरिस्त लंबी है और उनमें से एक है श्री प्रेम कुमार। गया (शहर) क्षेत्र का विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले श्री प्रेम कुमार अपनी चंद्रवंशी(कहार) जाति में काफी लोकप्रिय हैं ।कहार जाति अति पिछड़े वर्ग में शामिल है ।गौरतलब है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में अति पिछड़े वर्ग को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए थी। चुनावी प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से श्री प्रेम कुमार को कई बार बातचीत करते हुए देखा गया । इससे यह धारणा भी बनी कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में श्री प्रेम कुमार अग्रणी नेताओं में शामिल हैं । श्री सुशील कुमार मोदी विधान परिषद के सदस्य हैं । वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं। श्री यादव और श्री प्रेम कुमार ने क्रमश: पटना साहिब और गया शहर क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं । श्री मोदी विधान परिषद में विपक्ष के नेता के साथ ही विधानमंडल दल के नेता भी हैं ।भाजपा के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करने के फैसले का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फायदा उठाने की खूब कोशिश की ।
महागठबंधन खासकर इसके प्रमुख घटक जनता दल (यूनाईटेड) ने इस मुद्दे को चुनाव के दौरान खूब उछाला और बार-बार कहा कि श्री कुमार के कद का कोई नेता भाजपा में है ही नहीं ।कहा यह भी गया कि बिहार भाजपा में ऐसा कोई नेता ही नहीं है जो श्री कुमार को टक्कर दे सके । भाजपा वरिष्ठ नेताओं को संवाददाताओं के इस सवाल का बार-बार सामना करना पड़ा कि उनका मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन है ।पार्टी नेताओं ने इस प्रश्न का हमेशा यही जवाब दिया कि मुख्यमंत्री का चयन केन्द्रीय भाजपा संसदीय बोर्ड करेगा । पार्टी में वरिष्ठ नेता एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के नाम पर भी मुख्यमंत्री पद के लिए विचार किया जा सकता है।
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