नयी दिल्ली 10 नवम्बर, सरकार द्वारा अधिसूचित एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी)से असंतुष्ट पूर्व सैनिकों की पदक लौटाने की घोषणा के बीच रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि यह अनुचित है और सैनिक को शोभा नहीं देता। ओआरओपी पर सरकार की अधिसूचना से असंतुष्ट पूर्व सैनिकों के संगठन का नेतृत्व कर रहे सेवानिवृत्त मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कल कहा था कि देश भर में 14 जगहों पर पूर्व सैनिक मंगलवार शाम से अपने पदक लौटायेंगे। पूर्व सैनिकों का कहना है कि सरकार ने उनकी सभी मांगों को नहीं माना है और वे ओआरओपी की अधिसूचना से संतुष्ट नहीं हैं। श्री पर्रिकर ने वास्को डि गामा में तट रक्षक बल के पोत ‘समर्थ’ के कमीशन के बाद कहा कि सरकार का काम ओ आरओपी से संबंधित अधिसूचना जारी करना था जो हो गया है अब जो भी समस्या है उसका समाधान संबंधित आयोग के पास अपनी बात रखने से होगा ।
उन्होंने कहा कि अनशन और विरोध सबका लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन पदक लौटाने की बात उनकी समझ से बाहर है और लगता है कि वे भ्रमित हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि ओआरओपी को लागू करना आसान काम नहीं था और यह उनकी बड़ी उपलब्धि है। इस मांग पर पिछले 50 वर्षों में विचार नहीं किया गया था और अब इसे मान लिया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों की ज्यादातर मांगे मान ली गयी है और अब यदि उन्हें कोई समस्या है तो इस संबंध में गठित किये जाने वाले आयोग के सामने उसे रखा जाना चाहिए। इसके लिए पदक लौटाने की जरूरत नहीं है। इस बीच यहां जंतर मंतर पर पिछले लगभग 190 दिनों से धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों ने कहा है कि वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे और शाम से देश भर में पदक लौटाने का अभियान शुरू हो जायेगा।
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