नयी दिल्ली 10 नवम्बर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रिटेन तथा तुर्की यात्रा से पहले आज सरकार ने रक्षा, विनिर्माण, निर्माण, कृषि, एकल ब्रांड खुदरा कारोबार एवं थोक कारोबार, निजी बैंक, नागरिक उड्डयन, खनन और प्रसारण समेत 15 उद्याेग क्षेत्राें में विदेशी पूंजी आकर्षित करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में भारी बदलाव करने की घोषणा की। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्याेग मंत्रालय ने यहां जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि इन क्षेत्रों में एफडीआई संबंंधी नियमों में ढील देते हुए भारी बदलाव किए गए हैं और निवेश की सीमा बढ़ा दी गयी है। खनन एवं खनिज में टाईटेनियम अलग अलग करने और भागीदारी में उत्तरदायित्व कम करने जैसे फैसले भी किए गए है। प्रसारण के क्षेत्र में डीटीएच में शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दे दी गई है। इसके अलावा गैर समाचार कार्यक्रमों में 49 प्रतिशत की एफडीआई होगी। एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में आॅटोमैटिक रूट के जरिये शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी। यह प्रावधान शुल्क मुक्त दुकानों पर भी लागू होगा। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति 26 प्रतिशत से बढाकर 49 प्रतिशत कर दी गई है। यह भी ऑटोमैटिक रूट के जरिये होगी। बागवानी और निर्माण क्षेत्र में एफडीआई की सीमा कुछ शर्तों के साथ 100 प्रतिशत कर दी गई है। इससे प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्मार्ट सिटी’ कार्यक्रम को बढावा मिलेगा तथा वर्ष 2022 तक सबके लिए आवास का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।
सरकार ने यह फैसला प्रधानमंत्री की ब्रिटेन एवं तुर्की की यात्रा से पहले लिया है। तुर्की में प्रधानमंत्री औद्योगिक देशों के समूह जी -20 की बैठक में भी हिस्सा लेंगे। इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने एफडीआई नीति में किए गए भारी बदलावों का स्वागत करते हुए आज कहा कि भारत विकास के पथ पर आगे बढता रहेगा और सरकार इसका लाभ प्रत्येक भारतीय तक पहुंचाएगी। प्रधानमंत्री कार्यालय के सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर कहा गया है कि भारत निर्बाध गति से विकास के पथ पर आगे बढ रहा है। सरकार चाहती है कि देश में उपलब्ध असाधारण अवसरों को पूरी दुनिया देखे। एफडीअाई नीति में आज किए गए बदलाव सरकार के ‘न्यूनतम शासन’ का उदाहरण है। इनसे कारोबारी माहाैल में अनुकूलता आएगी और प्रक्रिया सरल तथा तर्कसंगत बनेगी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को एफडीआई प्रस्तावों को अनुमोदन देने की सीमा 3000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपए कर दी गई है। एफडीआई में किए गए इन बदलावों से देश में विदेशी निवेश आने की प्रक्रिया अनुकूल, आसान और तर्कसंगत होगी और आॅटोमेटिक रूट के जरिए ज्यादा विदेशी पूंजी देश में आएगी और समय की बचत होगी। खुदरा एवं थोक कारोबार तथा ई काॅमर्स को विनिर्माण क्षेत्र के लिए खोलने से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार ने पिछले दिनों रक्षा तथा रेलवे समेत कई क्षेत्रों को एफडीआई के लिए खोला था लेकिन प्रक्रियागत कठिनाई के कारण अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे थे। इन बदलावाें का उद्देश्य निवेशकों के अनुकूल माहाैल तैयार करना और प्रक्रिया आसान बनाना है। सरकार का मानना है कि एफडीआई में इन बदलावों से रोजगार के अवसर सृजित करने में मदद मिलेगी और गरीबी का उन्मूलन हो सकेगा। इनसे भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाने में भी मदद मिलेगी। सरकार ने इससे पहले भी एफडीआई में कई बाधाओं को हटाया है और वित्तीय दबावों को कम किया है और इसका असर दिखने लगा है। एफडीआई में सुधार से मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसे अभियानों को बढावा मिलेगा। सरकार ने अनिवासी भारतीय के लिए भागीदारी उत्तरदायित्व, निवेश, मंजूरी प्रक्रिया में बदलाव करते हुए मालिकाना हक और कंपनी स्थापना में भी ढील दी है। ये बदलाव 15 उद्योग क्षेत्रों में कृषि एवं पशुपालन, बागवानी, खनन एवं खनिज में टाईटेनियम को अलग करने और इसमें मूल्य संवर्द्धन करना, रक्षा, प्रसारण, निजी बैंक, विनिर्माण, निर्माण, एक ब्रांड खुदरा एवं थोक कारोबार और नागरिक उड्डयन शामिल है। इसके अलावा कई क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा बढा दी गयी है।
भागीदारी उत्तरदायित्व और अनिवासी भारतीयों की कंपनी स्थापना में बदलाव करने से एफडीआई के प्रवाह में इजाफा होगा। इसके अलावा औद्योगिक नीति एवं विकास विभाग को एफडीआई से संबंधित सभी दिशा निर्देशों को एक पुस्तिका के रुप में लाने का सुझाव दिया गया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि 16 क्षेत्रों में कंपनी शुरु करने के लिए सामान्य तौर पर एक वर्ष से ज्यादा का समय लगता है। एफडीआई के क्षेत्र में किए गए इन बदलावों से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और विश्वभर से प्रौद्योगिकी भारत आएगी।
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