चेन्नई 08 नवंबर, तमिलनाडु में 25 वर्षीय किन्नर के प्रीतिका यशिनि का पुलिस बनने का बचपन का सपना पूरा होने वाला है। वह पुलिस उप निरीक्षक बनने वालीं पहली किन्नर हैं, जो वर्दी में दिखेंगी। हालांकि यह सब इतना अासान नहीं था और इसके लिए याशिनि को लगभग पांच वर्ष तक इंतजार करना पड़ा जिसके बाद उच्च न्यायालय ने इस पद के लिए उनके पक्ष में फैसला दिया। उच्च न्यायालय का यह फैसला पूरे किन्नर समाज का मनोबल बढ़ाने वाला है क्योंकि इससे उसे उसके साथ जुड़े सामाजिक कलंक से उबरने का मौका भी मिलेगा। उच्च न्यायालय के इस फैसले से याशिनि का आईपीएस अधिकारी बनने का उसका बचपन का सपना साकार होने वाला है और तमिलनाडु सरकार द्वारा उप निरीक्षक के पद पर उसकी नियुक्ति का रास्ता साफ होगा। न्यायालय ने भी राज्य पुलिस बल में किन्नरों आकर्षित करने के लिए आवश्यक परिवर्तन करने के लिए तमिलनाडु एकीकृत सेवा भर्ती बोर्ड काे निर्देश दिया है। न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस सेवा भर्ती बोर्ड काे भी निर्देश दिया है कि राज्य पुलिस बल में किन्नरों आकर्षित करने के लिए जरूरी प्रवधानों में आवश्यक परिवर्तन करे।
हालांकि तमिलनाडु सरकार ने शैक्षणिक संस्थाओं में किन्नरों को पढ़ने की छूट दी हुई है लेकिन सरकारी नौकरियों में उन्हें बहुत कम अवसर मिलता है। मदुरै में जिला पुलिस दैनिक भत्ते पर किन्नरों को होम गार्ड के पद पर रखा है लेकिन यह पहली बार होगा जब काेई किन्नर पुलिस उपनिरीक्षक के पद पर अासीन होगा। यशिनी के आवेदन को पहले यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि अवेदन में तीसरे लिंग की कोई श्रेणी नहीं है। इसके साथ ही उन्हें ताे लिखित परीक्षा और न ही शारीरिक परीक्षा में किसी तरह की कोई छूट प्राप्त थी।याशिनी ने कहा कि वह काफी उत्सुक हैं कि उनके जरिये किन्नर समाज की नयी शुरूअात हो रही। अन्य पुलिस अधिकारियों की तरह प्रशिक्षण से गुजरना के बाद उन्हें पोस्टिंग मिल जाएगी।
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