एक कहावत है घर की मुर्गी, दाल बराबर. लेकिन अब शायद दाल के बढ़ते दाम को देखकर ये कहना गलत नही होगा, दुकान की मुर्गी दाल बराबर. जिस तरह से देश में दाल के दाम आसमान में चढ़े हैं. इसका असर साफ लोगों में देखा जा रहा है. लोगों की थाली से दाल का गायब हो जाना. अब दाम ही इतना बढ़ चुका है कि लोग करें तो क्या. जितने की एक किलो दाल खरीदेंगे उतने में तो 4 से 5 दिनों की सब्जी ले आएगें. मंहगाई का बढ़ना जनता के लिए कोई नई बात नही है. अभी कुछ दिनों पहले प्याज को लेकर त्राहि- त्राहि मची थी. प्याज सब्जी से गायब हो रही थी. जनता इस मंहगाई से उभरी ही थी कि दाल ने अपना कहर दिखा दिया.
कहते हैं कि दाल में कुछ काला है. अचानक से बढ़े दाल के लगभग दोगुने से ज्यादा दाम को देखकर तो ये कहावत इकदम फिट बैठती है. जरूर दाल में कुछ काला जरूर है. वैसे तो दाल के दामों को लेकर बहुत सी बातें सामने आई थी. पैदावार की कमी भी बताया गया. बरसात की कमी के कारण दाल की पैदावार कम हुई. लेकिन दाल की जमाखोरी से मुंह नही मोड़ा जाता. पैदावार का न होना तो कुदरत की देन है. लेकिन स्टॉक को जमाकर रखना तो व्यापारियों के हाथ में है. जिसे उन्होने जमाखोरी कर अपना फर्ज बखूबी निभाया है. अपने फायदे के लिए लोगों की थाली से दाल छीन ली. दाल के बढ़ते दामों को सरकार देखती रही. बढ़ते दामों को देखकर सरकार को वो कहावत याद जरूर आनी चाहिए थी. जिसे अकसर गड़बड़ होने का अंदेशा होने पर बोला जाता है.
दाल में कुछ काला है. यहां तो पूरी दाल ही काली होने के साथ स्टॉक भी खाली निकला. मतलब जमाखोरी की वजह से बाजार में दाल की कमी से दाम आसमान छू गए. सरकार ने छापेमारी में जमाखोरी की 75 हजार टन दाल बरामत की गई. सरकार पहले से इस पूरे प्रकरण में सतर्क रहती है तो शायद दाल के दाम इतने नही बढ़ते. लेकिन कहते है ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’ जब तक सरकार अपने ठोस कदम बढ़ाती तब तक गरीब की थाली से दाल गायब हो चुकी थी. देश में मंहगाई की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है.
एक तरफ त्योहार का आना दूसरी तरफ दाल का थाली से जाना. इस मंहगाई को लेकर जनता तो रो रही है. जितने रूपए में लोग महीने भर की दाल खरीद कर लाते थे, अब उतने में एक किलों दाल मिल रही है. छोटे-छोटे व्यापारी तो दाल रखना ही छोड़ चुके है. बाजार से जब वो इतनी मंहगी खरीद कर लाएगें तो जाहिर सी बात है कि कुछ फायदा लेकर बेचेंगे. सरकार दाल का इंपोर्ट करेगी तो जाकर जनवरी तक दाल के दामों में गिरावट आएगी.
अगर मंहगाई बढ़ने की एक वजह जमाखोरी है तो सरकार को जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्यवाई करे. ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो.
रवि श्रीवास्तव
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, व्यंगकार,
ravi21dec1987@gmail.com
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