नयी दिल्ली 08 नवंबर, देश में 9.29 लाख डॉक्टर पंजीकृत हैं और अगर यह माना जाये कि इनमें से 80 फीसदी यानी 7.4 लाख डॉक्टर सक्रिय रूप से अपने पेशे में लगे हुए हैं तो इस आधार पर देश के कुल 1674 लोगों पर मात्र एक डॉक्टर उपलब्ध हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के 31 मार्च 2014 के रिकॉर्ड के अनुसार देश में 1600 लोगों पर एक डॉक्टर की उपलब्धता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर की उपलब्धता होनी चाहिए। हालांकि देश के 6.77 लाख आयुर्वेदिक यूनानी-होमियोपैथी के डॉक्टरों को एलोपैथी डॉक्टरों की संख्या में जोड़ दिया जाए तो देश में 855 लोगों पर एक डॉक्टर का अनुपात हो जाएगा।
सरकार ने डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए कई कदम उठाये हैं। एमडी तथा एमएस की पढाई के लिए शिक्षकों तथा छात्रों के 1:2 अनुपात को संशोधित करके 1:1 किया गया है। इसके अलावा एनेस्थेसियोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन, रेडियोथेरेपी, मेडिकल ओंकोलॉजी तथा सर्जिकल ओंकोलोजी विषयों में शिक्षकों तथा छात्रों के 1:3 के अनुपात को 1:1 किया गया है।
सरकार ने चिकित्सा संस्थानों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के साथ-साथ एमबीबीएस में सीटों को 150 से बढ़ाकर 250 कर दिया है। इसके साथ ही शिक्षकों के पुनर्नियोजन तथा उनके सेवामुक्त होने की आयु 65 से बढ़ाकर 70 साल की गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए राज्य के मेडिकल कॉलेजों में सुधार लाने तथा मजबूत बनाने के लिए पीजी कोर्सों में सीटों को बढ़ाने के लिए केंद्र तथा राज्यों के राशि के अनुपात को 75:25 किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार जिलों में बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए नये मेडिकल काॅलेज खोलने की योजना बना रही है। इसके लिए केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के खर्चे के अनुपात 75:25 जबकि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह 90:10 होगी। गैरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने पिछले मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में एक लिखित जवाब में कहा कि वर्तमान में देश में 56639 एमबीबीएस तथा 25346 सीटें उपलब्ध हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें