भारत को मज़हबी, तानाशाही वाला देश बनाना चाहता है आरएसएस : राहुल गांधी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 7 नवंबर 2015

भारत को मज़हबी, तानाशाही वाला देश बनाना चाहता है आरएसएस : राहुल गांधी

rss-wants-to-make-nationa-fasisit-and-comunal-rahul-gandhi
नयी दिल्ली, 07 नवंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भारत को एक मज़हबी और तानाशाही वाला देश बनाने के लिये काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विचारधारा को चकनाचूर कर देगी। श्री गांधी यहाँ राजीव गांधी सामाजिक अध्ययन संस्थान द्वारा पं. जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती वर्ष के अवसर पर “स्वतंत्रता के बिना शांति नहीं” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे देश में भय का माहौल है। देश के इतिहास में ऐसा हुआ है कि जब पहली बार संविधान के विचारों और मूल्यों का खुलकर विरोध करने वाले एक फासीवादी संगठन ने देश में निर्णायक ताकत हासिल की है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का मकसद भारत को एक मज़हबी और तानाशाही वाला देश बनाना है। इसे हासिल करने के लिये वर्तमान उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी लोकतांत्रिक गणराज्य को खत्म करना जरूरी है। पिछले 18 माह में देखा गया कि वे सत्ता की ताकत से उन मूल्यों को नष्ट करने को आमादा हैं। यह एक अभूतपूर्व चुनौती है जिसका सामना सभी भारतीय कर रहे हैं। 

श्री गांधी ने पं. नेहरू की पुस्तक ‘भारत एक खोज’ का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि आजादी के बिना अमन संभव नहीं होगा। अमन और आजादी का उनका मंत्र जेल में रहने के दौरान आया था, जो करोड़ों भारतवासियों की दिल की आवाज था। उन्होंने कहा कि पं. नेहरू ने भारत के पराभव के कारणों का उल्लेख करते हुए लिखा था कि इसका कारण यह था कि भारत ने प्रश्न खड़े करना बंद कर दिया था। भारत ने खुद को अपने समेट लिया जबकि दुनिया भर में बहुत बदलाव हो रहा था। इसीलिये पं. नेहरू जीवन भर हमारे विश्वास पर सवाल करते रहे। उन्होंने कहा कि पं. नेहरू बहुत ही सहिष्णु व्यक्ति थे। उन्होंने गीता, कुरान और बाइबिल तीनों में सत्य को देखा। उन्होंने संस्कृतियों और भाषाओं की विविधता में सुंदरता देखी। उनके अनुसार भारत की सहिष्णुता ने ही उसे महान बनाया है। दुनिया को देने के लिये हमारे पास एक सहिष्णुता ही है। कांग्रेस नेता ने कहा कि आज विभिन्न विचाराधाराओं पर चलने वाले लोगों को जिस एक बात ने इकट्ठा किया है, वह है- हमारी स्वतंत्रता, अधिकारों एवं लोकतांत्रिक प्रणाली पर आघात। आज शांति और स्वतंत्रता दोनों ही बुरी तरह से अाहत हैं। उन्होंने हाल में सांप्रदायिक एवं जातीय हिंसा के शिकार लोगों और बुद्धिजीवियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कांग्रेस अभिव्यक्ति एवं बोलने, धर्म एवं उपासना, विचारों एवं विश्वास की आजादी की स्वतंत्रता पर सभी हमलों की निंदा करती है। 

श्री गांधी ने कहा कि वह स्वतंत्रता एवं अधिकारों की रक्षा के लिये इकट्ठा हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक संप्रभु, सेकुलर, समाजवादी एवं लोकतांत्रिक गणराज्य है। यहाँ सबको विचारों एवं अभिव्यक्ति की आजादी है। यह एक ऐसा देश है, जहाँ मतभेद को शक्ति के रूप में देखा जाता है। इस देश में आदिकाल से ही सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांत से प्रेरणा मिलती रही है। पं. नेहरू का मानना था कि प्रत्येक भारतीय चाहे वह कितना ही गरीब और कमजोर क्यों न हो, उसे अपने परिवेश की समझ होनी चाहिये तथा यह ज्ञान अनुभव से आता है। उन्होंने कहा कि कोई भी सत्य पर एकाधिकार का दावा नहीं कर सकता। प्रत्येक भारतीय का एक अलग दृष्टिकोण है। ज्ञान कोई स्थिर वस्तु नहीं है। वह निरंतर प्रवाहमान है और उसकी हर वक्त हर व्यक्ति द्वारा लगातार परीक्षा होती है और सवाल होते हैं। जब संघ इसे रोकने की कोशिश करता है तो वह असहिष्णुता ही नहीं होती बल्कि भारतीय जनमानस का अपमान होता है। श्री गांधी ने कहा कि यह देश सबका है। कोई मेहमान भी आये तो उसका भी इससे नाता हो जाता है। इस पर सवाल खड़े करना कि कौन भारतीय है और कौन नहीं, बेहद खराब और खतरनाक बात है और हम सब इसे खारिज करते हैं। उन्होंने संघ प्रमुख श्री भागवत का दशहरा संबोधन दूरदर्शन पर सीधे प्रसारित किये जाने की भी आलोचना करते हुए कहा कि देश को उनकी क्षुद्र मानसिकता झेलने के लिये बाध्य किये जाने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि वह पिछले कुछ समय से देश भर में जगह-जगह कांग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं से मिल रहे हैं और उनसे बातचीत कर रहे हैं। उनका इस संवाद से यह विश्वास आैर पक्का हुआ है कि धर्मनिरपेक्षता कांग्रेस के खून में है और सबका सम्मान उसके डीएनए में है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन कल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। विभिन्न विचारधाराओं पर विश्वास करने वाले शिक्षाविदों, कलाकारों, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों ने इसमें हिस्सा लिया और देश में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिये खुल कर लड़ाई लड़ने का आह्वान किया।

कोई टिप्पणी नहीं: