पीसीसी अध्यक्ष ने किया सीएम की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक
- कहा, भाजपा के पूर्व सीएम, नेता प्रतिपक्ष व विधायक भी सार्वजनिक करें अपनी संपत्ति
देहरादून, 18 नवम्बर । प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री हरीश रावत की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया और कहा कि मुख्यमंत्री ने जो यह पहल की है वह सराहनीय है तथा मंत्रियों एवं विधायक सहित अन्य पदाधिकारियों की संपत्ति शीघ्र ही सार्वजनिक की जायेगी। मुख्यमंत्री के पास चल-अचल संपत्ति व बैंक की देनदारी सहित दो करोड़ नवासी लाख तेरप्पन हजार तीन सौ इक्यासी रूपये की है। जबकि उनकी पत्नी के पास चल संपत्ति व बैंक की देनदारी सहित चार करोड़बावन लाख अड़सठ हजार दो सौ सात रूपये की संपत्ति है। कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में श्री उपाध्याय ने कहा कि भाजपा के प्रदेश के मुख्यमंत्रियों, नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट सहित उनके सभी विधायकों को भी तत्काल प्रभाव से अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करना चाहिए। किशोर उपाध्याय ने सीएम की संपत्ति के ब्योरे को सार्वजनिक करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के पास चल-अचल संपत्ति व बैंक की देनदारी सहित दो करोड़ नवासी लाख तेरप्पन हजार तीन सौ इक्यासी रूपये की है। जबकि उनकी पत्नी के पास चल संपत्ति व बैंक की देनदारी सहित चार करोड़ बावन लाख अड़सठ हजार दो सौ सात रूपये की संपत्ति है। मुख्यमंत्री व उनकी धर्मपत्नी के नाम पर इस धनराशि में से बैंक की देनदारियां भी हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के पास पचास हजार की दो सोने की अंगूठियां व एक चांदी की अंगूठी है। इसके अलावा एसबीआई पार्लियामेंट हाउस के बैंक डिपोजिट्स सेविंग बैंक डिपोजिट, नैनीताल बैंक पिथौरागढ़ में करंट एकाउंट है। तीन एलआईसी पाॅलिसी है। इसके अलावा एसबीआई पार्लियामेंट हाउस से लोन भी लिया है। इसी तरह से अचल संपत्ति में अल्मोड़ा में एक मकान, पुस्तैनी कृषि जमीन, तथा गाजियाबाद में गैर कृषि जमीन शामिल है। कुल मिला कर 75 लाख की अचल संपत्ति मुख्यमंत्री के नाम पर है। उन्होंने बताया कि इसी तरह से उनकी धर्मपत्नी के नाम पर एक मर्सीडीज व एक टोयटा पफोरच्यूनर गाडि़यां हैं जो लोन पर ली गयी हैं। उनके नाम पर बैंक डिपोजिट, नेशनल सेविंग सर्टीफिकेट, पांच पाॅलिसियां व बैंक की देनदारियां हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की अंतरिम सरकार के समय व बाद में निर्वाचित सरकार ने भी स्थायी राजधानी के लिए किसी भी प्रकार के कोई प्रयास नहीं किये और गैरसैंण सत्र के दौरान राजधानी के लिए प्रस्ताव लाने को कहा गया तो भाजपाइयों ने हो हल्ला कर सदन को चलने नहीं दिया। भाजपा को अब दो तीन दिन में फिर से राजधानी गैरसैंण के लिए प्रस्ताव देना चाहिए और इसके साथ ही केन्द्र से 10 हजार करोड़ रूपये भी राज्य सरकार के खाते में डाले जाये तो राजधानी की घोषणा के लिए सरकार से बात की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर एक अच्छी पहल की है। पत्रकार वार्ता में जोत सिंह बिष्ट व अन्य कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
कांगे्रस में सरकार के सामने संगठन मिशन 2017 को बेअसर न कर दे दिग्गजों की रार
- मंत्रीमंडल में फेरबदल को लेकर बढ़ सकता है टकराव
देहरादून, 18 नवंबर। समाचार पत्र में पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय के बयान सामने आने के बाद पार्टी नेताओं मंे अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है। हालांकि अधिकांश नेताओं में संगठन नेतृत्व द्वारा ऐसे बयान को सीधे सरकार पर हमला माना जा रहा है। वहीं कुछ जुदा राय रखते हैं, और मिशन 2017 का हवाला देते हुए मंत्रीमंडल में बदलाव की वकालत करते रहे हैं। संगठन की ओर से नए साल की शुरूआत में मंत्रीमंडल में बदलाव होने का दावा किए जाने से सरकार की मुश्किलों में इजाफा माना जा सकता है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजों मंे भाजपा 31 के मुकाबले एक कदम पीछे रहने पर बसपा और निर्दलीय सात विजयी विधायकों को मिलाकर बना पीडीएफ कांगे्रस के लिए संजीवनी बनकर सामने आया। पीडीएफ के सहयोग से राज्य में कांगे्रस की सरकार बनी। बहुगुणा कार्यकाल में तो आपदा और स्थानीय विधायकों के क्षेत्र की उपेक्षा का मुद्दा पार्टी मुखिया की नींद हराम किए रहा। आपदा के दंश ने तो विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी से विदाई दिलाकर रख दी। सूबे का मुखिया बदलने के बाद भी प्रदेश में कांगे्रस के लिए फजीहतें कम नहीं हो सकीं। 1 फरवरी 2014 को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद हरीश रावत के सामने पीडीएफ नाता तोडने और मंत्री सुरेंद्र राकेश के निधन से रिक्त हुई सीट को भरने के रूप में नई मुसीबतें खड़ी हो गईं। हालांकि मुख्यमंत्री पिछले दिनों पीडीएफ को लेकर उठ रहे सवाल के जवाब में साफ कर चुके हैं कि पीडीएफ कांगे्रस की सहयोगी है और सरकार चलाने में सहयोग कर रही है तो ऐसे में उससे नाता तोडना संभव ही नहीं। उधर पूर्व में विरोधी गुट के दबाव के फलस्वरूप बताया जाता है कि दस जनपथ से रिक्त मंत्रीमंडल सीट पर वरिष्ठ कांगे्रसी नेता सुबोध उनियाल को बैठाए जाने का इशारा मिलने के बाद भी हरीश सरकार ने यह सीट भरने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। जबकि बताया जाता है कि रिक्त सीट भरने की जगह संगठन की ओर से मंत्रीमंडल में बदलाव की मांग पर जोर दिया जा रहा है। इसके पीछे पीसीसी अध्यक्ष भले ही कांगे्रस की मजबूती की बात करते हों, मगर पार्टी सूत्र बताते हैं कि किशोर अपने निजी हित में यह राग अलाप रहे हैं। पीडीएफ कोटे से विधायक दिनेश धनै पर्यटन मंत्री के पद पर बैठाए गए हैं। धनै मुख्यमंत्री के करीबियों मंे भी जगह रखते हैं। साल 2012 में धनै ने टिहरी से निर्दलीय चुनाव लडकर कांग्रेस प्रत्याशी किशोर उपाध्याय को करारी शिकस्त झेलने पर मजबूर कर दिया था। वहीं पीडीएफ में शामिल करीब चार अन्य ने भी पिछले विधानसभा चुनाव में कांगे्रस प्रत्याशियों को ही हराकर विधानसभा में जाने का जनादेश हासिल किया था।
सीटों का तालमेल गड़बड़ाने की संभावना
संगठन और विरोधी गुट समय-समय पर मंत्रीमंडल में बदलाव के राग अलापता रहा है। राजनीति की समझ रखने वाले इसके पीछे की मंशा जरूर समझते होंगे। और वह यह कि साल 2017 को कम ही समय बचे हैं, ऐसे में पार्टी यदि पीडीएफ को साथ लेकर चलती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांगे्रस के सामने टिकट बंटवारे का गणित गड़बड़ाना तय माना जा रहा। पीडीएफ नेता भले ही सरकार बनाने में सहयोग प्रदान कर रहे हों, मगर साल 2017 में तो इन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लडना है। एक मंशा यह भी कि यदि पीडीएफ का कोटा कम कर कांगे्रस को मंत्रीमंडल में तवज्जो दिया जाना इसलिए भी जरूरी है कि पीडीएफ को कांगे्रस पार्टी के सहयोगी के रूप में प्रमोट किए जाने से जनता के मन में पीडीएफ के प्रति संवेदना बढ़ती जाएगी। उदाहरण के तौर पर टिहरी से निर्दलीय जीते दिनेश धनै साल 2017 में भी उसी सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ते हैं तो तब तक कांगे्रस प्रत्याशी के लिए जनादेश बढ़ा पाना मुश्किल होगा।
फर्जी दस्तावेजों से ओएनजीसी में पा ली नौकरी
- अधिकारियों की शिकायत पर ओएनजीसी के चीफ कैमिस्ट पर मुकदमा
- कैंट पुलिस जुटी जांच में
देहरादून, 18 नवंबर(निस)। ओएनजीसी में फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर कोटे के आधार पर नौकरी पाने वाले एक अधिकारी के खिलाफ कैंट कोतवाली में धोखाधड़ी व षडयंत्र का मुकदमा दर्ज कराया गया है। प्रभारी निरीक्षक कैंट राजेश शाह ने बताया कि बीती रोज ओएनजीसी अधिकारियों की ओर से शिकायत प्राप्त हुई। तहरीर के आधार पर आरोपी अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी है। ओएनजीसी में साल 19७८ में अनुसूचित जाति जनजाति के कोटे के लिए आवेदन मांगे गए थे। इसमें वर्तमान चीफ कैमिस्ट केडीएमआईपीजी देवेश कुमार सिंह राजपूत ने भी अपने एसटी के प्रमाण पत्र आदि लगाकर भर्ती के लिए आवेदन किया था। तमाम प्रक्रियाओं के बाद देवेश कुमार का एसटी कोटे के तहत ओएनजीसी में नौकरी के लिए चयन हो गया। पिछले दिनों तेल भवन के अधिकारियों को विभागीय कर्मचारियों ने ही शिकायत दी कि देवेश कुमार सामान्य जाति से संबंध रखते हंै और नौकरी के लिए प्रस्तुत एसटी के दस्तावेज उन्होंने फर्जीवाड़ा कर बनवाए थे। इस शिकायत पर विभागीय जांच शुरू हुई। ओएनजीसी अधिकारियों ने जांच में देवेश कुमार पर एसटी के प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाए जाने के आरोप सही पाए। जिसके बाद ओएनजीसी कार्यालय की ही एक शाखा केडीएमआईपीजी के इंचार्ज अनिल कुमार की ओर से देवेश कुमार सिंह राजपूत पर मुकदमा दर्ज कराया गया। शिकायत में देवेश कुमार पर सामान्य जाति का होते हुए भी एसटी जाति का कूटरचित प्रमाण पत्र बनाकर धोखाधड़ी करके ऐडीएमआईपीजी ओएनजीसी में नौकरी हासिल करने का आरोप लगाया गया है।
गरीबों के नाम तो शामिल ही नहीं किए
- रा.खा.सु. योजना में सूची सार्वजनिक करने की मांग
- आरकेडिया ग्रांट के जनप्रतिनिधियों ने डीएसओ ऑफिस पर किया घेराव
देहरादून, 18 नवंबर(निस)। ग्राम सभाा आरकेडिया ग्रांट के उपप्रधान गीता बिष्ट के संग स्थानीय लोगों ने आज जिला पूर्ति कार्यालय में राशन न मिलने पर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा योजना के अंतर्गत सूची में शामिल होने से छूट गए निर्धन, बीपीएल परिवारों के नाम को भी सूची में शामिल कराए जाने की मांग की गई। उपप्रधान गीता बिष्ट ने मांग पूरी न होने पर पद से इस्तीफा की चेतावनी दी है।
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणांे का कहना कि मोहनपुर, स्मिथनगर, श्यामपुर, केहरी गांव, पीतम्बपुरा, सेवली, गोरखपुर, बड़ोवाला के स्थानीय ग्रामीणों का नाम राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा योजना की सूची में नहीं डाले गए हैं। जनप्रतिनिधियों ने डीएसओ से इसका कारण पूछा। गीता बिष्ट का कहना कि पूर्व में भी जिला पूर्ति अधिकारी को अनुरोध किया जा चुका है कि राशन कार्ड ऑनलाइन किए जाने तक सभी कार्डधारकों को राशन मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि उक्त ग्रामों में रहने वाले डेढ़ सौ के करीब बीपीएल राशनकार्ड धारकों के नाम नई सूची से काट दिए गए हैं। उपप्रधान ने कहा कि फाइनल सूची को सार्वजनिक किया जाए, जिससे पता चल सके कि कौन सूची में शामिल किया गया है और किसके नाम हटा दिए गए हैं। डीएसओ से अनुरोध किया गया कि जिन कार्डधारकों के नाम राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा योजना की सूची में शामिल होने से छूट गए हैं, उनके नाम सूची में शामिल कराए जाएं। प्रदर्शन करने वालों में गीता बिष्ट, मोहन सिंह रावत, शैलेंद्र कुमार, बाला देवी, सरिता क्षेत्री समेत अन्य शामिल थे।
गश्त करना भूल गए जवान थानेदार भी हुटर बजाकर निकल जाते हैं
- पुलिस में पैदल गश्त का दौर खत्म
- कम्यूनिटी पुलिसिंग का कायदा भी समाप्त
- यातायात या फिर नेताओं की चाकरी में व्यस्त पुलिस
देहरादून, 18 नवंबर(निस)। पुलिस में पैदल गश्त का दौर करीब-करीब समाप्त हो चुका है। हालांकि डीएवीपीजी कालेज में छात्रसंघ चुनाव के पूर्व पुलिस और इकाईयों का शक्ति प्रदर्शन का नजारा हर साल देखने को मिलता रहा है। जबकि जनता की सुरक्षा और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों में खौफ का माहौल बनाने के लिए नब्बे के दशक तक पुलिस और पीएसी की संयुक्त पैदल गश्त का जो चलन था, वह फिलहाल बीती दो दशकों से चलन में नहीं दिख रहा। नब्बे के दशक को याद करें तो पुलिस की पैदल गश्त मौहल्लों पर पहुंचा करती थी। थाने के दारोगा और दो सिपाहियों की यह पैदल गश्त मौहल्लों पर पहुंचकर गलियांे-गलियों टोह लेती दिखाई पड़ती थी। समय के साथ साथ पुलिसिंग में बदलाव आया और आज हालात यह कि पुलिस की पैदल गश्त का दौर समाप्त हो चुका है। वहीं दिन में भले ही पिकेटों पर पुलिस जवान तैनात दिखते हों, इसका उद्देश्य जनता की सुरक्षा कम और यातायात सुचारू बनाए रखना ही अधिक नजर आता है। मगर रात्रि में अधिकांश पिकेट पुलिस विहिन हो जाते हैं। हां हृदयस्थली घंटाघर पुलिस पिकेट पर रात के समय पुलिस हरदम चैकस दिखती है। हालात यह कि थाने की गाड़ी तो रात को गश्त पर निकलती है, हालांकि वह भी हुटर बजाकर चलती बनती है। मगर इस दौरान सिपाहियों की चैकस गश्त के नजारे विरले ही नजर आते हैं। मौहल्लों की समितियों से संवादहीनता की स्थिति बनी हुई है। जबकि पूर्व में पुलिस अधिकारियों ने कम्यूनिटी पुलिसिंग की जोरशोर से शुरूआत की थी। उद्देश्य यह था कि इससे मौहल्लों में आने-जाने वाले संदिग्धों, संदिग्ध गतिविधियों की समय रहते पुलिस को खबर मिलती रहे और समय रहते कदम उठाकर किसी भी तरह के संभावित अपराध को रोका जा सके। पैदल गश्त और कम्युनिटी पुलिसिंग खत्म होने का ही असर माना जा रहा कि चोरियों की घटनाएं बढ़ गई हैं। चुनौती बन चुके यातायात का सुचारू बनाने या फिर नेताओं की चाकरी में ही अधिकांशतया पुलिस को व्यस्त देखा जा रहा है।
गेस्ट हाउस में ठहरा संदिग्ध दबोचा
- एलआईयू की पड़ताल में सच का खुलासा
- फर्जी पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज बरामद
देहरादून, 18 नवंबर(निस)। पेरिस में आतंकी हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से देशभर में सतर्कता बढ़ाए जाने के आदेश जारी किए हैं। यहां राज्य में भी पुलिस ओर खुफिया इकाईयांें के कान खड़े हो चुके हैं। लोकल खुफिया इकाई की ओर से अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है। एसएसपी देहरादून डा. सदानंद दाते के निर्देश के बाद एलआईयू ने देहरादून जनपद के होटलों, लॉजों और गेस्ट हाउस में ठहरे लोगों की जानकारी जुटाने को लेकर चेकिंग शुरू की हुई है। इसका बेहतर परिणाम सामने आया और एलआईयू ने आईएसबीटी के समीप अनुराग गेस्ट हाउस में एक माह से ठहरे संदिग्ध युवक से पूछताछ की तो बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। वह एक माह से दुबई जाने के लिए वर्क परमिट वीजा पाने के लिए यहां ठहरा हुआ था। एसएसपी डा. सदानंद दाते ने बताया कि एलआईयू की शिकायत के बाद पटेलनगर पुलिस ने आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिला के कुरूवापल्ली गांव निवासी ब्रहमानंद रेड्डी पुत्र गोवर्धन रेड्डी को धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के पास से ग्राम गढ़ीमैचक पो. सत्यनारायण देहरादून पते पर जारी फर्जी पासपोर्ट बरामद हुआ है। जो कि क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से बनाया गया था। आईडीपीएल में प्लेसमेंट एजेंसी चलाने वाले आशीष ने दो लाख में यह फर्जी पासपोर्ट बनवाया था। पासपोर्ट बनाने के लिए यूपी के शैक्षिक फर्जी प्रमाण पत्र और दस्तावेज लगाए गए हैं। ब्रहमानंद आशीष को पासपोर्ट बनाने के लिए पचास हजार एडवांस दे चुका है। पुलिस अब गिरोह के तार खंगालने पर जुट गई है। गिरफ्तार आरोपी का कहना कि आशीष उर्फ बॉबी से उसका परिचय हैदराबाद में दुबई निवासी शैख हुसैन ने कराया था।
सीबीआई के निशाने पर 5 अधिकारी
- गोल्डन फोरेस्ट भूमि फर्जीवाड़े में मिल रहे दिनबदिन नए सुराग
- कुछ प्रापर्टी डीलरांे पर भी सीबीआई की नजर
देहरादून, 18 नवंबर(निस)। गोल्डन फोरेस्ट जमीन फर्जीवाड़ा प्रकरण में दिनबदिन नए खुलासे सामने आ रहे हैं। बीती दिनों सीबीआई ने देहरादून में इस प्रकरण से जुड़ तथ्य खंगालने के लिए छापेमारी की थी। विश्वस्त सूत्रों का कहना कि सीबीआई को मामले में कई अहम जानकारी और फर्जीवाड़े से जुड़े सुराग हाथ लगे हैं। गोल्डन फोरेस्ट भूमि फर्जीवाड़ा प्रकरण में पांच अधिकारी सीबीआई के निशाने पर हैं। फर्जीवाड़े के दौरान समय-समय पर चरणों में ये तैनात रहे हैं, और इनकी कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। सूत्रों की माने तो फर्जीवाड़े में दो बड़े अधिकारी और 1१२ पटवारी सीबीआई के निशाने पर बताए जाते हैं। सूत्रांे का दावा कि सीबीआई को कुछ के खिलाफ फर्जीवाड़े में लिप्त होने के पर्याप्त सुबुत मिल गए हैं। ऊपर से इशारा मिलने पर सीबीआई कभी भी इनकी गिरफ्तारी के कदम उठा सकती है। सीबीआई की छापेमारी में नया खुलासा यह भी कि मामले में कुछ प्रापर्टी डीलरों की भूमिका भी पाई गई है। सीबीआई की जुटाई जानकारी में सामने आ रहा कि इन प्रापर्टी डीलरों ने गोल्डन फोरेस्ट की जमीने खरीदीं और फर्जीवाड़ा कर आगे बेच भी दीं। सीबीआई सूची में शामिल नाम को लेकर होमवर्क कर रही है। बताया जाता है कि सूची में नाम अभी और बढ़ सकते हैं।
भोजपुरी सांस्कृतिक पर्व का समापन
- दून मंे जगह-जगह व्रतियों ने सूर्यदेव को अध्र्य चढ़ाया
देहरादून, 18 नवंबर(निस)। भोजपुरी सांस्कृतिक परब छठ पूजन का आज विधिवत समापन हो गया। दून में तमाम जगहों पर व्रतियों ने तडके ही पूजा अर्चना आरंभ कर दी। मंदिरों में विशेष पूजन के बाद उगते सूर्य को अध्र्य चढ़ाने के बाद छठ पूजन का समापन किया गया। यहां ओएफडी स्टेट में जुनियर क्लब स्थित शिव मंदिर में आचार्य पं. विपिन कुमार मिश्र ने व्रतियों को सूर्य पूजा आदि कराने के बाद सूर्यदेव को अध्र्य दिलाकर छठ पूजन का समापन कराया। सुबह चार बजे ही व्रतियों में छठ पूजन के समापन की तैयारियां शुरू हो गईं। दून के अलग-अलग जगहों पर कृत्रिम तालाब बनाए गए थे। जहां पर कि व्रतियों ने सुबह ही पूजन आदि आरंभ किया। पुजारियों की मौजूदगी में सुबह उगते सूर्य को अध्र्य आदि चढ़ाने के बाद छठ पूजन का समापन किया गया। ओएफडी स्टेट स्थित शिवमंदिर के साथ ही रिंग रोड रिस्पना पुल के नीचे बनाए गए तालाब में भी व्रतियों ने सूर्य देव की पूजा अर्चना के बाद उगते सूर्य को अध्र्य चढ़ाकर छठ पूजन का समापन किया। दीपनगर में भी छठ पूजा समिति के तत्वाधान में पानी की टंकी के पास उत्सव केंद्र की भूमि पर बनाए गए क्रत्रिम तालाब में व्रतियों ने सूर्यदेव को अध्र्य चढ़ाकर छठ पूजन का समापन किया।
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