नयी दिल्ली,12 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को तगड़ा झटका देते हुए तमिलनाडु में सांडों के बहुप्रचलित खेल जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाली उसकी अधिसूचना पर आज अंतरिम रोक लगा दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड , पशुओं के सरंक्षण से जुड़ी संस्था पीपुल्स फॉर एथिकल ट्रीटमेंट अगेंस्ट एनिमल(पेटा) और ऐसी ही अन्य संस्थाओं की ओर से सरकारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आज यह फैसला सुनाया। न्यायालय ने इसके साथ ही केन्द्र ,तमिलनाडु और ऐसे राज्यों से इस बारे में एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है जहां जल्लीकट्टू का खेल आयोजित किया जाता है। न्यायालय के आज के फैसले के बाद तमिलनाडु में इस बार पोंगल के अवसर पर जल्लीकट्टू का खेल नहीं हो पाएगा। पशु संरक्षण सें जुड़ी संस्थाआें ने फैसले पर जहां खुशी जाहिर की है वहीं दूसरी ओर तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों खासकर मदुरै के ग्रामीण इलाकों में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया है। यह वे इलाकें हैं जहां जल्लीकट्टु का खेल प्रमुखता से आयेाजित किया जाता है।
खेल पर रोक की खबर लगते ही मदुरै में बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष सड़कों पर उतर आए और फैसले के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कई यह भी कहते देखे गए कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ जाकर जल्लीकट्टू का आयोजन करेंगे। केन्द्र सरकार ने जल्लीकट्टू पर चार साल पुरानी रोक हटाते हुए आठ जनवरी को जारी अधिसूचना के तहत पोंगल पर्व के ठीक पहले इस खेल के आयोजन को हरी झंडी दे दी थी। तब सरकार के इस आदेश पर तमिलनाडु सरकार समेत राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने खुशी जताई थी। राज्य की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए एक पत्र भी लिखा था। पशु संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं ने इस पर कड़ा विरोध जताया था और इसके लिए बकायदा न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी थी। याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील सिर्द्धाथ लूथरा और आनंद ग्रोवर ने कल मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ के समक्ष पेश होकर याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था जिसे स्वीकार करते हुए उन्हाेंने इसके लिए मंगलावार का दिन तय किया था।
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