नयी दिल्ली, 11 जनवरी, मोदी सरकार ने डेढ़ साल से भी अधिक की मशक्कत के बाद नयी रक्षा खरीद नीति को आज मंजूरी दे दी जिसमें मेक इन इंडिया पर पूरा जोर देने के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने की बात कही गयी है। हालाकि इस नीति की अधिसूचना में अभी कुछ समय लगेगा और इसके अगले वित्त वर्ष के शुरू में ही अमल में आने की संभावना है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रक्षा खरीद परिषद् की यहां शाम हुई बैठक में नयी खरीद नीति को मंजूरी दे दी है । उन्होंने कहा कि इस रक्षा खरीद नीति के पहले दो अध्यायों में व्यापक फेरबदल किया गया है और इसमें सरकार की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया नीति पर जोर के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने, स्वदेशी डिजायन, क्षमताओं के विकास, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और लघु, मझोले तथा सूक्ष्म उद्योगों की रक्षा क्षेत्र में हिस्सेदारी बढ़ाने को खासा महत्व दिया गया है।
श्री पर्रिकर ने कहा कि नयी नीति में खरीद प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और सौदों को पूरा करने में होने वाली देरी को दूर करने के लिए कई उपाय किये गये हैं। उन्होंने कहा कि नयी नीति में एक नयी श्रेणी भारत में डिजायन और विकसित तथा विर्निमाण यानी आईडीडीएम को जोड़ा गया है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि सेनाओं के लिए विभिन्न खरीद में भारत में ही डिजायन और विकसित उत्पादों पर जोर दिया जायेगा और उन्हें प्राथमिकता दी जायेगी। यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया के तहत किया गया है। उन्होंने कहा कि दागी कंपनियों से खरीद के बारे में अलग से दिशा निर्देश तैयार किये जा रहे हैं जिसमें कुछ समय लगेगा। इसके अलावा कंपनियों के प्रतिनिधियों के तौर पर काम करने वाले एजेन्टों को भी कानूनी मान्यता देने की व्यवस्था की जायेगी हालांकि अभी इन दोनों मुद्दों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। नयी नीति के अनुसार आॅफसेट व्यवस्था केवल 2000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदों में ही लागू की जायेगी। किसी उत्पाद के लिए केवल एक कंपनी के प्रस्ताव को तर्कसंगत कारणों के आधार पर जांचा परखा जायेगा।
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