उत्तराखंड में खर्च के लिए अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 31 मार्च 2016

उत्तराखंड में खर्च के लिए अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी

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नयी दिल्ली 30 मार्च, केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मद्देनजर राज्य की संचित निधि से एक अप्रैल से खर्च की व्यवस्था करने क लिए राष्ट्रपति से अध्यादेश जारी करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनुपस्थिति में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आज यहां हुयी बैठक में लिया गया। संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि उत्तराखंड विधान सभा 18 मार्च को राज्य का बजट पारित नहीं कर पायी थी इसके कारण वहां एक अप्रैल से खर्च के लिए राज्य की संचित निधि से धन नहीं निकाला जा सकता। वहां इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है इसलिए इसके लिए अध्यादेश लाना पड़ेगा और मंत्रिमंडल ने इसकी मंजूरी दे दी है। राज्य में 27मार्च को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। 18मार्च को विधान सभा में विनियोग विधेयक पारित कराने के समय भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने इस पर मत विभाजन कराने की मांग की थी जिसका कांग्रेस के नौ विधायकों ने भी समर्थन किया था लेकिन विधान सभा अध्यक्ष ने शाेर शराबे के बीच विधेयक को पारित घोषित कर दिया था, भाजपा विधायकों तथा कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने उसी दिन राज्यपाल से मिलकर अपना पक्ष रखा था और कहा था कि विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की उनकी मांग नहीं मानी गयी और यह पारित नहीं हुआ है। 

उनका कहाना था कि राज्य की हरीश रावत सरकार अल्पमत में आ गयी है उसे बर्खास्त किया जाना चाहिए। इस पूरे प्रकरण के बाद केन्द्र ने वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि विधान सभा में विनियोग विधेयक पारित नहीं हो पाया है जबकि राज्य के मुख्यमंत्री का दावा था कि विधेयक परित हो चुका है। मंत्रिमंडल ने आज की बैठक में शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने को भी मंजूरी दी। उत्तराखंड के लिए खर्च की व्यवस्था संबंधी अध्यादेश लाने के लिए सरकार ने कल संसद के बजट सत्र का सत्रावसान कर दिया था , संसद के बजट सत्र के पहले चरण के बाद इस समय अवकाश चल रहा था और अगले वित्त वर्ष के लिए दो दिन ही शेष रह गये थे जिसके करण लोक सभा की बैठक तुरंत बुलाकर उसमें राज्य के खर्च के लिए विधेयक पारित कराना मुश्किल था।

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