देहरादून, 30 मार्च, उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से दायर याचिका पर नैनीताल उच्च न्यायालय के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और श्री रावत ने न्यायालय की खंडपीठ में चुनौती दी है। खंडपीठ ने दोनों की याचिका स्वीकार कर ली है। केंद्र सरकार का कहना है कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा है, ऐसे में श्री रावत को बहुमत साबित करने का मौका नहीं मिलना चाहिए। वहीं श्री रावत की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जब विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है तब उन्हें मतदान में कैसे शामिल किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय की ओर से दोनों याचिकाओं पर आज ही फैसला आने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि नैनीताल उच्च न्यायालय ने श्री रावत को 31 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश देते हुए कहा है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को भी मतदान करने का अधिकार होगा लेकिन उनके मतों को अलग सील बंद लिफाफे में रखा जाएगा। उत्तराखंड में केंद्र ने 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। श्री रावत ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कल न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ ने फैसला सुनाया था।
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