नैनीताल/देहरादून, 29 मार्च, नैनीताल उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को 31 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश देते हुए कहा है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को भी मतदान करने का अधिकार होगा लेकिन उनके मतों को अलग सील बंद लिफाफे में रखा जाएगा। उत्तराखंड में केंद्र ने 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। श्री हरीश रावत ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए आज न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ ने श्री रावत को 31 मार्च को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने को कहा। न्यायालय ने कहा कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को भी सदन में मतदान का अधिकार होगा। विश्वास मत के दौरान न्यायालय के रजिस्ट्रार पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद रहेंगे। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों में से छह विधायकों ने न्यायालय में याचिका दायर कर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने को चुनौती दी थी।
न्यायालय उनकी इस याचिका पर एक अप्रैल को सुनवाई करेगा। सदन में बागी विधायकों के मत अलग से एक लिफाफे में रखे जाएंगे और उच्च न्यायालय में भेजे जाएंगे। बागी विधायकों की सदस्यता के बारे में निर्णय होने के बाद उनके मत के संबंध में अंतिम फैसला होगा। श्री रावत के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय का फैसला आने के बाद पत्रकारों से कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहने के बावजूद सदन में बहुमत साबित करने के लिए न्यायिक समीक्षा की काफी गुंजाईश है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन के लिए सिर्फ विधायकों की खरीद-फरोख्त ही आधार नहीं हो सकता है और विश्वास मत हासिल करने से रोका नहीं जा सकता है।
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