2016-17 में घटेगी विकास दर : एशियाई विकास बैंक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 31 मार्च 2016

2016-17 में घटेगी विकास दर : एशियाई विकास बैंक

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नयी दिल्ली 30 मार्च, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत को सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बताते हुये कहा कि निकट भविष्य में भी इसकी विकास दर सबसे तेज बनी रहेगी, हालाँकि 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष की तुलना में 01 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में विकास दर घटकर 7.4 प्रतिशत रह जायेगी। एडीबी ने आज जारी बयान में बताया कि वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की विकास दर 7.4 प्रतिशत रहेगी, जबकि 2017-18 में यह एक बार फिर बढ़ते हुये 7.8 प्रतिशत पर पहुँच जायेगी। वित्त वर्ष 2015-16 में विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शांग जिन वेई ने कहा, “भारत दुनिया की सर्वाधिक तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और निकट भविष्य में इसकी रफ्तार तेज बनी रहेगी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और श्रम बाजार कानून में सुधार के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए और क्षेत्राें को खोलने जैसे सुधार लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता और बढ़ाई जा सकती है।” एडीबी ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है। 

सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों के लागू होने से देश में कारोबारी माहौल में सुधार हो सकता है। इस दौरान बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के विकास के लिए 200 अरब डॉलर की जरूरत होगी। वित्त वर्ष 2015-16 में विनिर्माण, निजी उपभोग और सरकार द्वारा पूँजीगत व्यय में तेजी की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था को निर्यात में दहाई अंक की गिरावट से उबरने में मदद मिली है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण तेल आयात पर होने वाला व्यय घटने से इसके आयात में भी गिरावट रही है। वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में मंदी की वजह से महँगाई में नरमी का रुख रहा है। हालाँकि, दूसरी छमाही में इसमें तेजी रही थी। उसने कहा कि 01 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2016-17 में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के कमजोर रुख के कारण भारत के निर्यात, खासकर रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर दबाव बना रहेगा। हालाँकि, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होने पर घरेलू उपभोग में तेजी आने की उम्मीद है। तेल आयात बिल में कमी आने से सार्वजनिक निवेश के मजबूत रहने की उम्मीद है।

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