- 2025-26 तक 25 लाख से ज़्यादा कामगारों को प्रशिक्षण एवं प्रमाणप्रत्र प्रदान करने का उद्देश्य
- डोमेस्टिक वर्क सेक्टर स्किल काउन्सिल DWSSCकी स्थापना
- क्ॅैैब् 400-500 प्रशिक्षण प्रदाताओं को मान्यता प्रदान करेगी
- अगले 10 सालों में 10 लाख कामगारों को प्रशिक्षित और प्लेस किया जाएगा।
- घरेलू कामगार देश का सबसे बड़ा असंगठित क्षेत्र बनाते हैं।
नई दिल्ली, 29 मार्च, 2015ः घरेलू सहायता क्षेत्र, जिस पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है, को अधिक संगठित बनाने के उद्देश्य के साथ कौशल विकास एवं उद्यमिता तथा संसदीय मामलों के लिए राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) श्री राजीव प्रताप रूडी ने आज नव गठित घरेलू श्रमिक सेक्टर स्किल काउन्सिल के साथ एसोसिएशन में एक और पहल की घोषणा की है। माननीय मंत्री जी ने आज नई दिल्ली में प्रयास जेएसी के द्वारा घरेलू श्रमिकों के लिए इन्टरनेशनल माइग्रेशन सेन्टर प्रोजेक्ट की शुरूआत का ऐलान किया। इसी के साथ भारत में प्रशिक्षित हाउसकीपरों को विदेशों में प्लेस करने के लिए इंडो ब्रिटिश कोलाबोरेशन (भारत एवं ब्रिटेन के बीच साझेदारी) की भी घोषणा की गई। यूके एवं भारत से प्रख्यात प्रशिक्षकों एवं सेवा प्रदाताओं ने कार्यक्रम में शामिल होकर भावी योजनाओं के बारे में बताया।
इस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए श्री रूडी ने कहा, ‘‘आज के घरेलू श्रमिक आमतौर पर पढ़े लिखे नहीं होते। इनमें से कुछ तो केवल प्राथमिक स्तर तक ही पढ़े होते हैं। ऐसे में उचित प्रशिक्षण और कौशल के अभाव में उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे उचित मजदूरी न मिलना, बुरी परिस्थितियों में काम करने की मजबूरी, काम करने के अनिर्धारित घण्टे, साप्ताहिक छुट्टी न मिलना, अकेलापन महसूस करना (अपने परिवार, बच्चों और दोस्तों से दूर रह कर), कैरियर के विकास की ज़्यादा सम्भावनाएं न होना और कभी-कभी कार्यस्थल पर उत्पीड़न का शिकार होना।’’
‘‘हाल ही में हमने डोमेस्टिक वर्कर्स सेक्टर स्किल काउन्सिल की स्थापना की है जो इस क्षेत्र से जुड़े हर हितधारक को शामिल करते हुए जागरुकता बढ़ाएगी तथा घरेलू श्रमिकों को इस तरह का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। साथ ही नियोक्ताओं को भी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। एसएससी हितधारकों में जागरुकता बढ़ाने के लिए विपणन अभियानों हेतू विशेष रणनीति अपनाएगी। इससे सुनिश्चित किया जा सकेगा कि लोगों को प्रशिक्षित श्रमिक मिलें और घरेलू श्रमिकों को उचित पारिश्रमिक भी प्राप्त हो।’’ उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा। इन्टरनेशनल माइग्रेशन सेन्टर और सम्बन्धित परियोजनाओं का उद्देश्य है- भारतीय-ब्रिटिश सहयोग के माध्यम से हाउसकीपरों के लिए क्षमता निर्माण, व्यवसायिक मानदण्डों, मूल्यांकन प्रक्रिया, सेर्टिफिकेशन, सेवाओं की स्थितियों, सुरक्षित प्रवास, पेशे की मर्यादा बनाए रखते हुए इन्हें यूके में काम करने के लिए प्रशिक्षित करना।
भारत सरकार- भारत एवं विदेशों में प्रशिक्षण और सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी के द्वारा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय तथा राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के माध्यम से इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने हेतू तत्पर है। डोमेस्टिक वर्कर्स सेक्टर स्किल काउन्सिल घरेलू श्रमिकों के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास को सुनिश्चित करेगा ताकि वे बेहतर मजदूरी पा सकें, उन्हें काम करने के लिए उचित माहौल मिले, उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाए, सुरक्षित प्रवास एवं प्लेसमेन्ट के द्वारा उनके हितों को सुरक्षित रखा जाए, तथा इन सब प्रयासों के द्वारा कुशल कार्यबल की मांग एवं आपूर्ति के बीच के अंतराल को दूर किया जा सके। घरेलू सहायता क्षेत्र से जुड़ी कुछ अनुमोदित फच्.छव्ैे श्रेणियां हैं ‘जनरल हाउसकीपर’, ‘हाउसकीपर कम कुक’, ‘चाइल्ड केयरटेकर’ और ‘एल्डरली केयरटेकर (नाॅन- मेडिकल)।
2025-26 तक 400-500 प्रशिक्षण प्रदाताओं को मान्यता प्रदान करना तथा तकरीबन 25 लाख प्रशिक्षित कार्यबल को प्रमाणपत्र देना क्ॅैैब् का लक्ष्य है। 10 सालों में 1 मिलियन युवाओं को प्रशिक्षित एवं प्लेस करने की प्रस्तावना दी गई है। घरेलू श्रमिक सेक्टर सम्भवतया देश के असंगठित क्षेत्रों में से सबसे बड़ा सेक्टर है और सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंदों एवं वंचित समुदायों को अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। हालांकि भारत में घरेलू श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं, फिर भी इनसे सम्बन्धित आंकड़ों में काफी असमानता पाई गई है। सेक्टर एवं इसके प्रतिभागी अधिकतर अनियमित हैं और श्ररेलू कामगारों को गम्भीर उत्पीड़न, कम मजदूरी मिलना/ मजदूरी न मिलना, लम्बे समय तक काम करना, बुरे माहौल में काम करना, नियोक्ता के बुरे व्यवहार, कुछ मामलों में गुलामी और यहां तक कि नाबालिगों की तस्करी जैसी गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अधिकतर घरेलू कामगार कमज़ोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से होते हैं और घोर गरीबी के चलते वे इस क्षेत्र में काम करने के लिए मजबूर होते हैं; बड़ी संख्या में ऐसे लोग पहले या दूसरे स्तर के शहरों की ओर रुख कर जाते हैं, जहां बिचैलिए और ठेकेदार उनका फायदा उठाते हैं। शिक्षा की कमी, प्रशिक्षण के अभाव , कैरियर के विकल्पों एवं अपने अधिकारों को न जानने के कारण उनका पेशेवर एवं आर्थिक विकास बाधित होता है। समाज के इस वर्ग का प्रशिक्षण एवं शिक्षा उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जागरुक बना सकती है, साथ ही उन्हें काम के बेहतर अवसर भी प्रदान कर सकती है। कार्यक्रम में शिरकत करने वाले दिग्गजों में शामिल थे श्री अशोक अग्रवाल, आईएएस, अतिरिक्त सचिव एवं सीईओ, खाद्य सुरक्षा एवं भारतीय मानक प्राधिकरण, श्री संतोष मैथ्यूज़, ग्रामीण विकास मंत्रालय, सुश्री गायत्री कालिया, संचालन प्रमुख, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, सुश्री शशि किरण, कन्सलटेन्ट ैफ। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम, सुश्री सुनीता रेड्डी, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, सेन्टर आॅर मेडिसिन एण्ड कम्युनिटी हेल्थ, जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी तथा विभिन्न कौशल विकास संगठनों जैसे ‘एम्पावर प्रगति’, गेट डोमेस्टिक हेल्प, बी-एबल आदि से प्रतिनिधि।
माननीय मंत्री जी ने ‘प्रेक्टिस हैण्डबुक; अ ट्रेनीज़ गाइड आॅन हाउस कीपर- कम कुक’ का भी अनावरण किया, जिसे डोमेस्टिक वर्कर सेक्टर स्किल काउन्सिल, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम एवं स्किल इण्डिया के द्वारा संसुक्त रूप से विकसित किया गया है। सेक्टर इसी उद्देश्य के साथ आने वाले समय में विभिन्न राज्य सरकारों, विभिन्न एजेन्सियों, प्रशिक्षण प्रदाताओं तथा मूल्यांकन एजेन्सियों के साथ भी साझेदारी करेगा।
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