पटना 28 मार्च, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उतराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने वहां दल- बदल कानून और संविधान की धज्जियां उड़ा दी है। श्री कुमार ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस देश के कई राज्यों में अनेकों बार राष्ट्रपति शासन लगे होंगे लेकिन जैसा उतराखंड में हुआ वैसा पहले कभी नहीं हुआ । उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में बहुत स्पष्ट फैसला सुनाया है कि बहुमत का फैसला सदन के अंदर होना चाहिए । ऐसी स्थिति में जब विधानसभा की बैठक बुलायी गयी थी और 28 मार्च को बहुमत पर फैसला होना था , उससे पहले ही विधानसभा को निलंबित कर राष्ट्रपति शासन लगाये जाने का कोई औचित्य नही था । सरकार को सदन के फैसले से पहले राष्ट्रपति शासन लगाने से परहेज करना चाहिए था । मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार का यह फैसला अलोकतांत्रिक है । उन्होंने कहा कि उतराखंड विधानसभा में यदि कोई अलग परिस्थिति पैदा हुयी होती तो उस समय कोई फैसला होना चाहिए था । इससे पहले सरकार को सदन के अंदर बहुमत साबित करने का मौका मिलना ही चाहिए था ।
श्री कुमार ने कहा कि दल-बदल को रोकने के लिये श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कानून बनाया था और उस समय इसमें श्री अरूण जेटली काफी सक्रिय थे । दल-बदल कानून के कारण दो तिहायी से कम संख्या में विधायक या सांसद अपनी पार्टी से अलग होने की बात सोच भी नही सकता है । उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इस कानून का मजाक उड़ाते हुए उतराखंड में नौ विधायकों को दल-बदल की छूट दे दी । मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने खुलेआम दल -बदल को बढावा दिया है । केन्द्र सरकार यदि यही चाहती है तो उसे पहले दल-बदल कानून को ही समाप्त कर देना चाहिए । उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी:भाजपा: के नेताओं की यह दलील ठीक नहीं है कि कांग्रेस को अपना घर संभालना चाहिए था । उनकी यह बात अलग है लेकिन केन्द्र सरकार की भी यह जिम्मेवारी बनती है कि वह संविधान की रक्षा करे। श्री कुमार ने कहा कि संविधान की रक्षा करने के बजाये केन्द्र सरकार का कदम पूरी संवैधानिक व्यवस्था के प्रति प्रतिकूल है । सरकार ने संविधान की धज्जियां उड़ायी है । उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है ।
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