नयी दिल्ली, 22 मार्च, ‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर चल रही बहस के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पर अपना रुख कड़ा करते हुए कल कहा कि यह मात्र नारा नहीं है और इससे इनकार करना संविधान का अपमान है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कल पारित राजनीतिक प्रस्ताव में राष्ट्रवाद पर जोर दिया गया है और प्रस्ताव के शुरू में ही ‘भारत माता की जय’ पर पार्टी के विचार को स्पष्ट किया गया है। इसमें कहा गया है, “हमारा संविधान भारत को इंडिया के रूप में दर्शाता है। ऐसे में ‘भारत माता की जय’ को स्वीकार नहीं करना संविधान का अपमान करने जैसा ही है।” प्रस्ताव के मुताबिक राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय एकता और अखंडता भाजपा के लिए मूलभूत विश्वास के सिद्धांत हैं। आज देश के अंदर एक बहुत छोटा समुदाय जिस प्रकार की वाचालता का प्रदर्शन कर रहा है, वह संविधान की मूल भावना के विपरीत है। भाजपा के प्रस्ताव में कहा गया है, “इसमें कोई शक नहीं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस देश के संविधान द्वारा हर नागरिक को दी गयी है, लेकिन यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान की सीमाओं तक ही सीमित है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत की बर्बादी की बात करना कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर भारत माता की जय कहने से इनकार करना भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।” पार्टी का कहना है कि उसके लिए भारत माता की जय सिर्फ एक नारा नहीं है। यह आजादी के आंदोलन में असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का एक मंत्र भी रहा है। यह करोड़ों देशवासियों के हृदय का स्पंदन भी है। यह नारा प्राथमिक तौर पर संविधान के प्रति अपने दायित्वों की पुनरावृत्ति भी है। भाजपा यह स्पष्ट करना चाहती है कि भारत का अपमान करने अथवा इसकी एकता और अखंडता को कमजोर करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के नेता एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि वह ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलेंगे। उनके इस बयान की कई नेताओं और संगठनों ने आलोचना की थी।
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