- - मंत्री के करीबी के स्वामित्व की लॉज में हत्या के बाद धराया था शराब का जखीरा और देहव्यापार
- - न्याया व्यवस्था की धीमी गति व हावी नौकरशाही का नायाब नमूना बना रतलाम
- - मोदी सरकार के मंत्री है पर्दे के पीछे, सूबे के मुखिया का भी मौन समर्थन
- - आपातकाल पर बड़़े-बड़़े बोल बोलने वाले सत्ताधारी भी है मौन
[ पत्रकार रमेश मिश्र चंचल द्वारा]
रतलाम। इतिहास गवाह रहा है की जब-जब किसी प्रदेश में सत्ता की पारी लम्बी चली है तब-तब नौकरशाह सरकार और खासकर जनता पर हावी हुए है। पूर्व की दिग्विजय सरकार पर भी इस प्रकार के आरोप लगे परन्तु वर्तमान शिवराज सरकार के नौकरशाहों ने तो यह साबित कर दिया है। यू तो व्यापम घोटाला, पीएमटी घोटाला, मनरेगा घोटाला व ड्रिप इरीगेशन घोटाला आदि कई घोटालो से सरकार की छाती खासे तमगे लगाए है पर अब रतलाम कलेक्टर चन्द्र शेखर बोरकर जो की सरकार के करीबी माने जाते है अपनी छाती पर तमगा लगाने के लालच में उच्च न्यायालय की अवमानना पर उतर आए है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के सीधी जिले के मनरेगा के करोड़ो के घोटाले के आरोपी व प्रदेश के इतिहास में भोपाल गैस त्रासदी के बाद सबसे बड़े हादसे पेटलावद ब्लास्ट के आंशिक रूप से जिम्मेदार ( सेवानिवृत्त न्यायाधिपति श्री ए के सक्सेना की रिपोर्ट) इसअधिकारी को सूबे के मुखिया ने बकायदा सरकारी योजनाओ के क्रियांवयन हेतु पुरस्कृत भी किया है व कुछ ही दिनों पूर्व राज्यपाल से पुरस्कृत होते हुए इस अधिकारी की फोटो मोबाईलों पर काफी वायरल हुई थी, परंतु किस कार्य हेतु पुरस्कृत किया गया इसका उल्लेख कहीं देखने को नहीं मिला था। इन वाकयों से रतलाम कलेक्टर बोरकर की सियासी पहुंच का अंदाजा लगाया जा सकता है।
वर्तमान रतलाम कलेक्टर बोरकर अपने राजनैतिक आका मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत के फरमानों की पूर्ती के चक्कर में एक स्थानीय पत्रकार विशेष के पीछे सारे नियम कायदे तोड़$कर पड़ चुके है। उल्लेखनीय है कि रतलाम कलेक्टर बोरकर के राजनीतिक आका मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत की पहली पत्नी से संबंधित को लेकर म.प्र. विधानसभा चुनाव २०१३ के समय समाचार प्रकाशित हुआ था जिसपर माननीय आज तक रूष्ट है व अपने मातहतों के जरिए अपनी नाराजगी का हिसाब चुकता करने पर आमादा है। उक्त चुनाव में माननीय के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी ४० वर्षीय पुत्र रतलाम की आलोट विधानसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे थे, समाचार से रूष्ट होकर माननीय ने तत्कालीन राज्यसभा सांसद की हैसियत से शिकायत प्रेस परिषद नई दिल्ली को की थी जिसपर बीते वर्ष २०१५ में माननीय के दबाव के चलते परिंिनंदा का फैसला सुनाया गया है। प्रेस परिषद नई दिल्ली के परिनिंदा के फैसले को संपादक रोमेश जोशी द्वारा उच्च न्यायालय इदौर खण्डपीठ में चुनौती दी है।
प्राप्त जानकारी अनुसार रमेश मिश्र चंचल पत्रकार द्वारा नगर निगम रतलाम में व्याप्त घोटालो व वर्तमान नगर निगम रतलाम आयुक्त सोमनाथ झारिया के विरूद्ध सीरीज छापी गई थी व शिकायत पर राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ट उज्जैन ईकाई ने रतलाम निगम द्वारा शहर में लगाई गई शासन द्वारा प्रतिबंधित हाई मास्ट लाइटों के संबंध में प्रकरण क्रं १००/२०१५ पंजीकृत किया है। जिससे रूष्ट होकर निगमायुक्त ने पत्रकार की रहवासी निर्माणाधीन बहुमंजिला ईमारत को जमींदोज करने का नोटिस एमओएस (मिनिमम मार्जिनल/ओपन स्पेस) को आधार बनाकर दिया। उल्लेखनीय है कि पत्रकार द्वारा स्थानीय सिविल न्यायालय से उक्त आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त किया गया, रतलाम शहर में लगभग ९९ प्रतिशत आवास-दुकानों में उक्त नियम का पालन नहीं किया गया है, पत्रकार द्वारा अपनी निर्माणाधीन भवन में नगर पालिक अधिनियम अंतर्गत कंपाउंडिग हेतु भी आवेदन दिया परंतु कलेक्टर बोरकर व भ्रष्टाचार के आरोपो से घिरे निगमायुक्त ने सभी नियमों व सिविल न्यायालय के स्थगन आदेश को धता बताते हुए भवन को जेसीबी मशीन, शहर पुलिस अधीक्षक, संबंधित थाना प्रभारी व महिला पुलिस बल, अनुविभागीय दण्डाधिकारी (शहर), तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक - पटवारी समेत उच्च स्तरीय नाटक करते हुए उक्त भवन को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर अपनी व राजनीतिक आका मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत की ताकत का परिचय पत्रकार रमेश मिश्र चंचल को दिया। यहां गौरतलब होगा कि इस भवन के पूर्व स्थानीय न्यू रोड़़ पर सर्वानंद ना$मक किराना स्टोर समेत सैकड़़ो दकानदारों को भी न.पा.नि अधिनियम के तहत धारा ४३६ का नोटिस दिया गया था जो कि मुख्य सड़़$क पर निर्मित है परंतु शासन द्वारा पुरस्तृत रतलाम कलेक्टर बोरकर व भ्रष्टाचार के आरोपो से घिरे निगमायुक्त सोमनाथ झारिया की कार्यवाही केवल पत्रकार के निर्माणाधीन भवन जो कि कॉलोनी की गली के अंतिम छोर पर नोले के किनारे है पर ही सिमट गई। न्यायालय की अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। गौरतलब है कि रतलाम कलेक्टर बोरकर के सीधी मनरेगा कांड और पेटलावद कांड की जांच की ही तरह निगमायुक्त सोमनाथ झारिया पर भी राज्य लोकायुक्त संगठन द्वारा उनके देवास जिले के नगर निगम आयुक्त कार्यकाल की भी जांच लंबित है व बीते दिनों रतलाम में आर्थिक अपराध प्रकोष्ट के उप पुलिस अधीक्षक श्री विश्वकर्मा द्वारा भी पड़़ताल की गई व बयान लिए गए परंतु भ्रष्टाचार के आरोपो से घिरे निगमायुक्त सोमनाथ झारिया उप पुलिस अधीक्षक के लिए समय नहीं निकाल पाए और उप पुलिस अधीक्षक को उनके पीए से भेंट कर रवाना होना पड़़ा।
रतलाम कलेक्टर बोरकर की तानाशाही इस पर भी नहीं रूकी, इनके द्वारा पत्रकार से जुड़़े समाचार पत्रों की पूर्व में भेजी गई घोषणा को निरस्त करते हुए भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय को १६.१२.२०१५ को भेजी गई, उल्लेखनीय है कि भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक ने भी राजनीतिक पकड़़ वाले रतलाम कलेक्टर बोरकर के पत्र पर त्वरित कार्यवाही करते हुए उसी दिवस यानी कि १६.१२.२०१५ को ही समाचार पत्रों के पंजीयन निरस्त कर दिए गए। जबकि कलेक्टर बोरकर की अनुसंशा पंजीकृत डाक द्वारा पत्रकार के कार्यालय पर १८.१२.२०१५ को प्राप्त हुई। प्रेस की स्वतंत्रता की पर हुए इस कुठाराघात की जांच भी एक विचारणीय मुद्दा है। पत्रकार व संपादक द्वारा उच्च न्यायालय की शरण लेकर स्थगन आदेश लिया गया माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उक्त आदेश में प्रक्रियात्मक कमी देखते हुए स्थगन आदेश जारी कर विवादास्पद आदेश का क्रियांवयन पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रेस परिषद द्वारा समूह के एक समाचार पत्र के विरू द्ध परिनिंदा का फैसला सुनाया था जबकि रतलाम कलेक्टर बोरकर द्वारा अनर्गल आरोप लगाते हुए समूह के दोनो समाचार पत्रों के घोषणा पत्रों को निरस्त कर अपने मंसूबे पूरे किए , जिसमें माननीय के दबाव के चलते भारत के समाचार पत्रो के पंजीयक ने भी अमल कर उसी दिवस निरस्तीकरण का फैसला लिया ।
यहां उल्लेखनीय है सीधी जिले के करोड़़ो के गबन के मामले राज्य शासन ने रतलाम कलेक्टर बोरकर की राजनैतिक पहुंच होने कारण$ क्लीन चीट देते हुए केवल प्रक्रियात्मक गलती स्वीकारी है और भविष्य में सावधान रहने की सलाह देते हुए दोषमुक्त किया है, जबकि जांच अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से तत्कालीन जिला पंचायत सीधी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बोरकर व तत्कालीन कलेक्टर सीधी को भी दोषी पाया व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा १३ १ (ग) १(घ) व भा.द.वि. की धारा १२० बी ४२०,४६७,४६८,४७१ के तहत प्रकरण दर्ज कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा १७ के तहत आर्थिक प्रकोष्ट के उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से जांच की अनुसंशा की थी। परंतु सियासी गलियारों व मुख्यमंत्री निवास के संपर्को के चलते तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी चंद्रशेखर बोरकर से कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर बन गए एवं ठाठ से लगातार कई जिलों की कलेक्टरी कर अब रतलाम में प्रक्रियात्मक त्रुटियों की पराकाष्टा व पत्रकार पर जोर आजमाइश कर राजनीतिक आका को तृप्त करने पर अमादा है।
यहां पर भी रतलाम कलेक्टर बोरकर की तानाशाही खत्म होती नजर नहीं आ रही है, पत्रकार के समाचार पत्रों के प्रकाशन स्थल व शासन द्वारा आबंटित भूखण्ड पर भी अब इस अधिकारी की नजर पड़़ $गई है। जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारीयों पर दबाव बनाकर रतलाम कलेक्टर बोरकर ने भू-खण्ड की लीज निरस्त कराने के मंसूबे में है साथ ही उक्त भूखण्ड पर निर्मित भवन को जमींदोज करने के है।
उल्लेखनीय है कि रतलाम कलेक्टर बोरकर द्वारा सारा षडयंत्र आयुक्त झारिया व माननीय के तथाकथित निज सचिव आदतन शिकायतकर्ता स्थानीय निवासी अशोक सौभाग्यमल जैन की एक शिकायत कर की गई है, यहां गौरतलब है कि माननीय के करीबी व निज सचिव अशोक सौभाग्यमल जैन के स्वामित्व की सैलाना लॉज पर इनके चौकीदार व मैनेजर की हत्या हुई थी, जहां से पुलिस को तफ्तीश करने पर करोड़़ो रूपयो की अवैध शराब धरी थी। इतना ही नहीं लॉज में अवैध देह व्यापार का भी पर्दाफाश हुआ था, साथ ही साथ खुद मृतक चौकीदार द्वारा उक्त कारोबार संचालित करना और मृतक के पुत्र के द्वारा ही अपने पिता की सुपारी रूपये ५ लाख में दी जाकर हत्या करवाने का सनसनीखेज कांड उजागर हुआ था। पुलिस द्वारा हत्या का तो पर्दाफाश किया गया परंतु इतनी ज्यादा मात्रा में अवैध शराब का भंडारण व अवैध देह व्यापार संचालन पर कोई कार्यवाही न होना फिर मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत के दखल की ओर इशारा करता है।
पत्रकार रमेश मिश्र चंचल द्वारा उनके साथ घट रही घटनाओ को लेकर एक पत्र महामहीम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय , महामहीम राज्यपाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यालय के साथ साथ प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश से लेकर स्थानीय सासंद व विधायक को भी दिया है जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि इस तरह की आततायी, आतंकवादी प्रशासनिक कार्यवाही अंग्रेजो के बाद आपातकाल में भी नहीं हुए थी, परंतु कोई खासी कार्यवाही कहीं भी से आज दिनांक तक नहंी हो पाई है। स्थानीय रतलाम प्रेस क्लब भी इस मामले में केवल पत्र लिख कर मौन है अब रतलाम के नहीं प्रदेश एवं देश भर के पत्रकारों को रतलाम की घटनाओ की जानकारी प्रेषित की गई है। श्री मिश्र ने यह भी कहा कि वस बहरहाल न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखने व स्लो जस्टीस इज नो जस्टीस के जुमले को झेलने पर मजबूर है उन्हें आशंका है कि उनके एवं उनके परिजनों के साथ जान-मान का खतरा तो बना ही हुआ है साथ संपत्ति ध्वस्त करने के अलावा किसी झूठे प्रकरणो में उन्हे या परिजनों को फंसाने की साजिश भी की जी सकती है जो मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत, इनके विधायक पुत्र जितेन्द्र गेहलोत, कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर, आयुक्त सोमनाथ झारिया या शासन/प्रशासन के प्रतिनिधि के द्वारा की जा सकती है ।
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