सुधार के परिणाम दिखने लगे हैं : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 28 मार्च 2016

सुधार के परिणाम दिखने लगे हैं : मोदी

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नयी दिल्ली 28 मार्च, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि पूरी दुनिया आर्थिक विकास के लिए भारत की ओर उम्मीद भरी नजर से देख रही है और उनकी सरकार ने जो सुधार किये हैं उनके परिणाम दिखने लगे हैं। प्रधानमंत्री ने यहां ब्लूमबर्ग आर्थिक शिखर सम्मेलन में कहा, “पूरी दुनिया उम्मीद भरी नजर से भारत की ओर देख रही है और भारत इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकता हुआ सितारा बता चुके हैं। हमारी महंगाई दर न्यूनतम स्तर पर है और चालू खाता घाटा के निचले स्तर पर होने के साथ ही यहां विकास की दर ऊंची है।” श्री मोदी ने वर्ष 2008-09 के दौरान कच्चे तेल के 147 डाॅलर प्रति बैरल पर पहुंचने का उल्लेख करते हुये कहा कि अभी यह 50 डाॅलर से नीचे है। वर्ष 2014-15 के दौरान इसमें भारी गिरावट हुयी है। वर्ष 2009-10 के दौरान देश का चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंच गया था। 

महंगाई भी चरम पर थी लेकिन वर्ष 2015-16 के दौरान ये तीनों निचले स्तर पर आ गये। उन्होंंने कहा कि दुनिया की अधिकांश उभरती अर्थव्यवस्था आयातित तेल पर निर्भर है और यदि तेल की कीमतों के कम होने से अर्थव्यवस्था में तेजी आती है तो उन सभी देशों की आर्थिक विकास दर बढ़नी चाहिए। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार या विकास भारत के पक्ष में अभी नहीं है। दोनों निचले स्तर पर है और उससे निर्यात बढ़ाने में भी मदद नहीं मिली है। इसके साथ ही वर्ष 2014 और 2015 में मानसून या मौसम ने भी साथ नहीं दिया है। लगातार दो वर्ष सूखे की मार पड़ी है। सूखे के साथ ही बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने भी नुकसान पहुंचाया है। इसके बावजूद फसल उत्पादन में तेजी बनी हुयी है और महंगाई निचले स्तर पर है। श्री मोदी ने कहा कि इन विपरीत परिस्थितयों के बावजूद भारत वैश्विक विकास के मामले में सबसे आगे है और यह कुछ लोगों को हजम नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रभावी प्रबंधन और बेहतर नीति के बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था को यह सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि वित्तीय सुदृढीकरण पर जोर दिया जा रहा है और अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य तय किया गया है, जो 40 वर्षाेें में दूसरा सबसे निचला स्तर है। इसके साथ ही पूंजीगत व्यय बढ़ाया जा रहा है।

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