देहरादून, 212 मार्च, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कल कहा कि आगमी 28 मार्च को विधानसभा की बैठक में राज्य में सरकार की तस्वीर साफ हो जाएगी। श्री रावत ने यहां बीजापुर हाउस में मीडिया से कहा कि बहुमत साबित करना एक संवैधानिक प्रक्रिया है इसलिए इस पर बहुत कुछ कहा जाना उचित नहीं रहेगा। परंतु एक बात बहुत साफ है कि केंद्र की सरकार राज्य की जनता के सपनों को चकनाचूर कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की हत्या करने वाले तथा लोकतांत्रित संस्थाओं को धनबल एवं बाहुबल से तोड़ने की कोशिश करने वाले हम पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि हम पर स्मार्ट सिटी के लिए चाय बागान की जमीन को लेकर कुछ लोगों को उपकृत किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है जबकि हकीकत यह है कि देहरादून में स्मार्ट सिटी के लिए ग्रीन फील्ड को लेने के लिए नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत, विधायक हरबंस कपूर तथा विधायक गणेश जोशी ने लिखित में अनुरोध किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भाजपा के नेता स्मार्ट सिटी के लिए ग्रीन फील्ड का चयन किए जाने की आलोचना कर रहे हैं जबकि उनके द्वारा स्वयं ही इसके लिए अनुरोध किया गया था। भाजपा को अब इसका विरोध करने का हक नहीं है। हालांकि जो लोग पर्यावरण आदि कारणों से इसका विरोध कर रहे हैं उनका हम सम्मान करते हैं। हमने अब स्मार्ट सिटी के लिए पांच जोन में बांटकर देहरादून के लोगों से राय मांगी है। उन्होंने कहा“ नए भाजपा नेता हम पर खनन को लेकर आरोप लगा रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि लगभग 500 खनन पट्टे मेरे मुख्यमंत्री बनने से पूर्व के हैं। भाजपा के नए नेता हम पर नैनीसार को लेकर आरोप लगा रहे हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य में निजी पूंजी निवेश को आकर्षित करने के लिए हमने नीति बनाई है जिसके तहत स्कूल, काॅलेज, अस्पताल के लिए न केवल रियायती आधार पर भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी बल्कि प्रोमोशनल आधार पर भी सुविधाएं दी जाएगी। इसके लिए संबंधित क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी आदि आधारभूत ढांचे का विकास किया जाएगा। हमें कहा जा रहा है कि हम पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा तथा चिकित्सा सुविधा के लिए निजी निवेश को नीति के तहत प्रोमोट कर रहे हैं। हम बहुत जल्द ही एक सूची जारी करेंगें जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा के मूर्धन्य लोगों ने बहुत ही सस्ती दरों पर जमीन ली है।” उन्होंने कहा कि राज्य के प्रबुद्ध जनों को विचार करना चाहिए कि क्या धनबल के इस खुले खेल को मंजूरी दी जा सकी है। यदि ऐसा होता रहा तो राज्य के बाहर के पैसे वाले यहां के मुख्यमंत्रियों को रूमाल की भांति बदलते रहेंगे। इस कैंसर रोग को उत्तराखंड के शरीर में प्रवेश नहीं होने दिया जा सकता है।
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