उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड मामले में केंद्र से मांगा जवाब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 28 मार्च 2016

उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड मामले में केंद्र से मांगा जवाब

uttarakhand-high-court-sought-response-from-the-centre
देहरादून/नैनीताल, 28 मार्च, उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को आज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिस पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को कल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। श्री रावत की ओर से दायर याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति यू सी ध्यानी की एकल पीठ ने केंद्र सरकार से कल तक जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई मंगलवार को सुबह दस बजे होगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से आज या कल बहुमत साबित करने का मौका देने के लिए निर्देश जारी करने तथा राष्ट्रपति शासन संबंधी आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की। वहीं केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए दस दिन का समय मांगा। इस पर उच्च न्यायालय ने कल सुबह 10 बजे तक केंद्र सरकार को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। 

श्री सिंघवी ने अदालत को बिहार में रामेश्वर नाथ और कर्नाटक में एसआर बोमई केस का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठों के आदेश हैं कि सदन में ही बहुमत का फैसला होगा। केंद्र सरकार ने रावत सरकार को गिराने और बागियों को बचाने की मंशा पूरी करने के लिए धारा 356 का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि रावत सरकार का सदन में बहुमत परीक्षण होना था, लेकिन असंवैधानिक तरीके से सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। बागियों को विधानसभा अध्यक्ष ने सुनवाई का पूरा मौका दिया था। उन्होंने कहा कि बागियों की सदस्यता खत्म होने के बाद अब विधानसभा में सदस्यों की संख्या 61 रह गई है। हरीश रावत का बहुमत साबित होना तय था इसीलिए जबरन राष्ट्रपति शासन लगाया गया। यह राष्ट्रपति शासन लगाने का अब तक का सबसे खराब उदाहरण है।

कोई टिप्पणी नहीं: