देेहरादून 27 मार्च, उत्तराखण्ड के निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि वह इस मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। श्री रावत ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह लोकतन्त्र की हत्या है और वह इस मामले में न्यायालय की शरण लेंगे। उन्होंने मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में साहस है तो वह विधानसभा भंग करके चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपर्याप्त आधार पर यह अलोकतांत्रिक कदम उठाया है । उन्होंने कहा कि वह कल राज्यपाल से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे और उनसे स्टिंग करने वाले पत्रकार की सम्पत्तियों की जांच कराए जाने की भी मांग करेंगे।
उन्होंने उत्तराखण्ड को दल-बदल और राष्ट्रपति शसन का घाव देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इसका जवाब जनता उन्हें जरूर देगी। उन्हें जनता कतई माफ नहीं करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार गिराने में धन-बल का इस्तेमाल किया गया और इसमें 500 से 1000 करोड़ रुपये का खेल हुआ है, जिसमें इंंडियाबुल के मालिक विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगणा तथा सत्ता और धन के लालची हरक सिंह रावत की भूमिका है। इस साजिश में भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व, श्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हैं । श्री रावत ने कहा कि उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी हरक सिंह रावत उन्हें लगातार ब्लैकमेल कर रहे थे, लेकिन सरकार स्थिर रखने के लिए उन्हें उनकी बातें माननी पड़ती थी। हताश और निराश हो चुके विजय बहुगुणा ने भी बगावत में शामिल होकर अपने पिता (स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा) की आत्मा को दुख पहुंचाया है।
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