22 मार्च, विश्व जल दिवस पर विशेष- ़एनडब्ल्यूएम-टीआईएसएस वाटर स्टूवर्डशिप प्रोग्राम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 22 मार्च 2016

22 मार्च, विश्व जल दिवस पर विशेष- ़एनडब्ल्यूएम-टीआईएसएस वाटर स्टूवर्डशिप प्रोग्राम

world-water-day
हमारे देश भारत में भी पानी की समस्या अपने चरम है। धड़ल्ले से खुलेआम इसकी बर्बादी हो रही है। चैकाने वाली बात तो यह है कि लोग इसकी अहमियत के बारे में जानते हुए भी अंजान बने हुए है और इसकी बर्बादी कर रहे हैं। हमें यह समझना होगा और समझाना होगा कि कुदरत ने हमें कई अनमोल तोहफों से नवाज़ा है उसमें से पानी भी एक है। इसलिए हमें इसे सहेज कर रखना है। पानी की कमी को वही लोग समझ सकते हैं जो इसकी कमी से दो चार हंै। हम खाने के बगैर दो-तीन दिन जिंदा रह सकते है मगर पानी के बगैर जिंदगी की पटरी का आगे बढ़ना तकरीबन नामुमकिन सा लगता है। पानी लोगों की दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ उनको आजीविका जुटाने में भी एक अहम किरदार अदा करता है। खेती-बाड़ी से लेकर विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े उद्योगों में, लोगों की रोज़ी-रोटी पानी से ही जुड़ी है। खासतौर से आय के साधन जुटाने में मनुष्य पानी का अंधाधंुध इस्तेमाल कर रहा है। हमें भविष्य की चिंता बिल्कुल नहीं हैं और न ही हम करना चाहते हैं। अगर विकास की अंधाधुंध दौड़ में मनुष्य इसी तरह शामिल रहा तो हमारी आने वाली पीढ़ी कुदरत के अनमोल तोहफे पानी से वंचित रह सकती है। 
      
विश्व में जल का संकट कोने कोने व्याप्त है। आज हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। दुनिया ओद्योगिकरण की राह पर चल रही है, किंतु स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना मुश्किल हो रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ज़रिए 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए मूल्यांकन में 445 नदियों में से  275 नदियां प्रदूषित पाई गईं। विश्व भर में साफ़ पानी की अनुपलब्धता के चलते ही जल जनित रोग महामारी का रूप ले रही है। इंसान जल की महत्वता को लगातार भूलता गया और उसे बर्बाद करता रहा, जिसके फलस्वरूप आज जल का संकट सबके सामने है। जलवायु परिवर्तन के रहते पानी और पानी से संबंधित समस्याओं का और तीव्र होने का अनुमान है।
       
इन्हीं सब समस्याओ से निजात दिलाने के लिए एनडब्ल्यूएम-टीआईएसएस वाटर प्रोेजैक्ट जारी है जो टीआईएसएस वाटर स्टूवर्डशिप प्रोग्राम की एक छोटी सी पहल है। जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय जल मिशन के द्वितीय लक्ष्य ‘‘जल संरक्षण, संवर्धन और संरक्षण के लिए नागरिक और राज्य कार्रवाई की पदोन्नति’’ का परिचालन करना है। यह प्रोजैक्ट नदी बेसिन स्तर पर जल प्रबंधन के लिए एक समावेशी और निष्पक्ष आधारित माॅडल की कल्पना करती है जहां स्थानीय लोग, विभिन्न कार्यकर्ता और संस्थाएं,  सक्रिय रूप से जल के संरक्षण, संवर्धन और इसके सही प्रयोग से पारिस्थितिक तंत्र और मनुष्य के बीच एक संतुलन बनाने के लिए लगे हुए हैं। यह परियोजना ‘‘जल संरक्षण, जल के दुरुप़योग को कम करने तथा विभिन्‍न राज्‍यों में इसका समान वितरण सुनिश्चित करके जल संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने’’ की राह पर गामज़न है। वास्तव में एनडब्ल्यूएम-टीआईएसएस वाटर प्रोेजैक्ट घरेलू, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में पानी के उचित प्रबंधन, उपयोग और समानता, को सुनिश्चित करने का एक अथक प्रयास है। 
        
इस कार्य को सार्थक करने के लिए हर किसी क्षेत्र से लोगों का जुड़ना अनिवार्य है। इसलिए टीआईएसएस अपने वाटर स्टूवर्डशिप प्रोग्राम के तहत एक मंच त्।प्छ (रिवर बेसिन एक्शन इंडिया नेटवर्क ) का गठन कर रहा है। इस मंच का मुख्य उद्देश्य सभी में पानी के प्रति जि़म्मेदारी से काम करने की क्षमता का एहसास कराकर उन्हें पानी के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम लाने के लिए प्रेरित और कार्यरत करना है।  
          
इस बारे में टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के डायरैक्टर डा. पराशुरमन कहते हैं कि.-‘‘वाटर स्टूवर्डशिप सिध्दांत के ज़रिए ही हम लोगों में पानी के संरक्षण और संवार्धन की भावना का विकास कर सकते हैं और इसके लिए नदी बेसिन स्तर पर जल प्रबंधन के लिए एक समावेशी और निष्पक्ष आधारित माॅडल तैयार करने की ज़रूरत है।’’ 
        
टाटा समाज विज्ञान संस्थान 1936 में स्थापित किया गया था। भारत में सामाजिक कार्य का पहला स्कूल, टीआईएसएस शैक्षिक उत्कृष्टता के माध्यम से समाज कल्याण के उद्देश्य के साथ एक अग्रणी प्रयास था। इस संस्थान को यूजीसी के द्वारा अनुदान दिया जाता है। इस संस्थान की चार शाखाएं मुम्बई, हैदराबाद, तुल्झापुर और गुवाहाटी हैं। टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) भारत सरकार के राष्ट्रीय जल मिशन निदेशालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एंड जीआर) के तत्वाधान से राष्ट्रीय जल मिशन के द्वितीय लक्ष्य ‘‘जल संरक्षण, संवर्धन और संरक्षण के लिए नागरिक और राज्य कार्रवाई की पदोन्नति’’ का परिचालन कर रहा है। राष्‍ट्रीय जल मिशन का मुख्य उद्देश्य ‘‘जल संरक्षण, जल के दुरुपयोग को कम करने तथा विभिन्‍न राज्‍यों में इसका समान वितरण सुनिश्चित करके जल संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करना’’ है। जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना पानी, अक्षय उर्जा, कृर्षि समेत आठ प्राथमिकता वाले राष्ट्रीय मिशनों पर ध्यान केंद्रित करती है। उन्हीं में से एक राष्ट्रीय जल मिशन भी है। कार्ययोजना योजना की रूपरेखा भारत के विकास के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित उद्देश्य की पूर्ति के अनेक कदमों के बारे में बताती है।
            
आओ विश्व जल दिवस के मौके पर टीआईएसएस वाटर स्टूवर्डशिप प्रोग्राम के तहत इस बात का संकल्प लेते कि हम सब मिलकर पानी को बचाएंगे ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को, कुदरत का अनमोल तोहफा सौगात के रूप में दे सकें। इस खास दिन के मौके पर इस कविता के माध्यम से पानी को बचाने की कसम लेते हैं-

कसम पानी की, बचाकर रहूंगा मैं तुझको, 
नहीं होगी नाइंसाफी तेरे साथ
तेरी अहमियत मैं जानता हंू
नहीं आगे बढ़ पाएगी जिंदगी तेरे बिना
नहीं जि़दा रह पाएंगे जन, जंगल, ज़मीन, और जानवर तेरे बिना
नहीं हो पाएगी खेती तेरे बिना 
तेरी अहमियत मैं जानता हंू
तुझ एक ही था, एक ही है और एक ही रहेगा
जिससे जुड़ा है जिंदगी का सपना
कसम पानी की, बचाकर रहूंगा मैं तुझको  
तेरी जिंदगी से ही लोगों की जिंदगी है
तू नहीं तो जिंदगी नहीं
तेरी अहमियत मैं जानता हंू
कसम पानी की, बचाकर रहूंगा मैं तुझको

कोई टिप्पणी नहीं: