नईदिल्ली। डेटलाइन इंडिया द्वारा अपने संस्थापक संपादक प्रखर पत्रकार स्व. आलोक तोमर की स्मृति में नईदिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में परिवार को राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। 'यादों में आलोक' परिसंवाद में 'लोकतंत्र बनाम भीड़तंत्र: मीडिया की भूमिका' विषय पर राजनीतिक, विचारक, लेखक एवं मीडिया की हस्तियों ने विचार व्यक्त करते हुए लोकतंत्र के बदलते स्वरूप पर चिंता जताई। वक्ताओं ने कहा कि सभी अपने-अपने दायरे में रहकर अपनी जिम्मेदारियोंं का निर्वाह करना होगा। उन्होंने कहा कि मीडिया और राजनीति दोनों को अपनी जड़ों की ओर लौटने और अपने विगत का पुनर्पाठ करने की जरूरत है। परिसंवाद का संचालन वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने किया। आभार व्यक्त डेटलाइन इंडिया के प्रधान संपादक डा़ॅ राकेश पाठक ने किया।
कृत्रिम जनमत बनाने की कोशिश हो रही है: गोविन्दाचार्य
विचारक गोविंदाचार्य ने कहा कि अराजक और अनुशासित भीड़ के बीच अंतर समझना होगा। शांतिपूर्ण पद्धति सावधानी का निशां है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तो एक भाव है। कुकर की सीटी सुनकर भी अनसुना करते जाएं तो डेंजर जोन में पहुंच जाते हैं। दुहरापन मीडिया और विधायिका में दिख रहा है। कार्यपालिका यथास्थितिवादी है। न्यायपालिका भी भेड़ के लिए अलग न्याय और सांड़ के लिए अलग का शिकार है। साेशल मीडिया निरंकुश है। कृत्रिम जनमत बनाने की कोशिश हो रही है। विचारक गोविन्दाचार्य ने कहा कि जन की चेतना में शांतिपूर्ण पद्धति को रेखांकित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश मिटेगा तो बचेगा कौन? उन्होंने कहा कि संकल्प की आवश्यकता है। सही बात को डटकर बोलें, जो जहां है वहीं से बोलें।
विगत का पुनर्पाठ मीडिया को करना चाहिए :मृणाल पांडेय
लेखिका एवं वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय ने कहा कि भीड़ किन परिस्थितियों में सकारात्मक है और किन परिस्थितियों में नकारात्मक है, यह देखना होगा। उन्होंने कहा कि मीडिया की एक कमी है कि सन्दर्भ भूल गया है। विगत का पुनर्पाठ मीडिया को करना चाहिए। हमारा इतिहास विविध रंगी है, हमने उसकी पड़ताल नहीं की है। उन्होंने कहा कि मीडिया को नया मुहावरा तलाशना होगा ।
हमें खुद को नागरिक के नाते बदलना होगा: आरिफ मोहम्मद
पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भीड़तंत्र सीधे-सीधे संविधान और विधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र लोकलाज के सहारे चलता है। हमें खुद को नागरिक के नाते बदलना होगा। यही नहीं मीडिया के लोगों को भी नागरिक के नाते सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि किसी को हक नहीं है कि वो राष्ट्रीय प्रतीक से खिलवाड़ करे। उन्होंने कहा कि हमारी बहुत सी समस्याएं इसलिए हैं क्योंकि हम अपनी परंपराओं से परिचित नहीं हैं। हर किसी को स्वीकार करना हमारी परंपरा है।
मीडिया को सबसे एक निर्धारित दूरी रखना चाहिए: विनोद दुआ
परिसंवाद में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने कहा कि सोचने पर भीड़ का दबाव न हो, वहां लोकतंत्र होता है। उन्होंने कहा कि मीडिया अगर राजनीति करने लगेगा तो आपदा होगी। मीडिया को सबसे एक निर्धारित दूरी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भीड़तंत्र मुझे एक तरफ धकेलता है, लोकतंत्र मुझे आजादी देता है। विनोद दुआ ने कहा कि मीडिया का अपना निजी स्वार्थ न हो तभी वो अपनी सही भूमिका निभा सकता है।
पूरा तंत्र पॉलिसी पैरालिसिस का शिकार है:हरिवंश
लोकतंत्र बनाम भीड़तंत्र, मीडिया की भूमिका विषय पर बोलते हुए कहा कि वरिष्ठ पत्रकार एवं संसद सदस्य हरिवंश ने कहा कि हुआ क्या है कि भीड़ इतनी उग्र हो रही है। विकास का पूरा तंत्र चरमराया हुआ है। आज पीड़ित पक्ष सबसे पहले मीडिया के पास जाता है। बजाय शासन तंत्र के पास जाने के। पावर शिफ्ट हुआ है तंत्र से मीडिया की ओर। मीडिया और न्यायपालिका का बहुत बड़ा रोल है। पूरा तंत्र पॉलिसी पैरालिसिस का शिकार है। हरिवंश ने कहा की राजनीति को अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा ।
भीड़ को औजार बनाया जा रहा है:निलांजन
परिसंवाद में बोलते हुए लेखक निलांजन मुखोपाध्याय ने कहा कि सत्ता द्वारा भीड़ को औजार बनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जो हमारी समझ के साथ नहीं वो राष्ट्र के साथ नहीं। सोशल मीडिया पर भी शोर उठाने के लिए भीड़ को लगाया जा रहा है। अपनी मर्जी का साउंड पैदा किया जाता है। ये चिंता जनक है।
कार्यक्रम के आरंभ में आईटीएम ग्वालियर के चांसलर रमाशंकर सिंह ने आलोक तोमर की यादें ताजा कीं। उन्होंने बताया कि किस तरह आलोक तोमर ने लोक से जुड़ी पत्रकारिता करते हुए अपनी जगह बनाई।
साभार : डेट लाइन इंडिया डॉट कॉम
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