वाशिंगटन 01 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के पहले पूर्ण सत्र में आज हिस्सा लिया और परमाणु प्रतिष्ठानाें की सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। सम्मेलन में पचास से अधिक देश भाग ले रहे है। भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमनदीप सिंह गिल ने सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत परमाणु सुरक्षा कोष को एक करोड़ रुपये देने के लिये प्रतिबद्ध है।
भारत ने सम्मेलन में परमाणु प्रसार को रोकने के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा आयोग और इंटरपोल की भूमिका का जिक्र किया। बैठक के दाैरान अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि “फिजिकल प्रोटेक्शन ऑफ न्यूक्लियर मेटेरियल (सीपीपीएनएम) के सम्मेलन के लिये 102 देशों ने सहमति जताई थी और यह अगले सप्ताह तक अमल में आ सकता है। श्री ओबामा ने कहा कि परमाणु सामग्री की सुरक्षा के प्रति अमेरिका प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि विश्व को यह सुनिश्चित करना होगा कि परमाणु सामग्री किसी भी तरह से आतंकवादियों के हाथ न लग सके।
इससे पहले श्री मोदी ने श्री ओबामा और विश्व के अन्य नेताओं के साथ परमाणु सुरक्षा को लेकर चर्चा की। श्री मोदी ने आज ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की। उन्होंने श्री कैमरन से भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्तों अौर संबंधों के बारे में बातचीत की और दोनों देशों के बीच सहयोग आदि के बारे में भी चर्चा की। श्री मोदी ने वैश्विक समुदाय से ‘उसका आतंकवादी मेरा आतंकवादी नहीं है’ जैसे भेदकारी विचारों को त्यागने की अपील की है। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन इशारों में यह स्पष्ट किया कि भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने वाले संगठनों के प्रति पाकिस्तान अलग नजरिया रखता है।
श्री मोदी ने परमाणु सुरक्षा के लिए शिखर सम्मेलन की पहल के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रशंसा करते हुए कहा कि एेसा करके उन्होंने वैश्विक सुरक्षा के लिए महान कार्य किया है। उन्होंने ब्रसेल्स हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इन हमलों ने परमाणु सुरक्षा के प्रति वास्तविक और त्वरित खतरे को पुन रेखांकित किया है। उन्होंने कहा,“ हम अब किसी व्यक्ति की गुफा में तलाश नहीं कर रहें है बल्कि हमें शहरों में कम्प्यूटर के सामने बैठे,स्मार्ट फोन लिए आतंकवादी की तलाश है। इसके साथ ही इन नापाक मंसूबों वाले लोगों को सरकारी लोगों की शह मिलना दूसरा बड़ा खतरा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें