पटना, 22 जुलाई। गुजरात में मरी हुई गाय की खाल उतारने के परंपरागत कार्य में लगे चार युवकों को तथाकथित गौ रक्षा संगठन के छः लोगों ने मिलकर जिस तरह एसयूीवी में बांधकर मिलों तक सड़कों पर तेज रफ्तार में घसीटते हुए जिस प्रकार की बर्बरता का परिचय दिया वह किसी भी सभ्य समाज के लिए निहायत शर्मनाक कृत्य था, और इसकी जितनी भी भत्र्सना की जाए कम है। भाजपा के राजपाट में जिस प्रकार एक के बाद दूसरी दलित उत्पीड़न की कारगुजारियों को संघ परिवार से जुड़े कथित हिन्दुत्ववादियों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है उसी की एक ताजा कड़ी के रूप में उक्त घटना को देखा जाना चाहिए। दरअसल भाजपाई सत्ताधारियों की शह पर ही ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
गुजरात की उक्त घटना को लेकर जब बड़ी संख्या में दलितों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्षन का सिलसिला चलाया तो उसी बीच भाजपा सांसद दयाषंकर सिंह ने उत्तर प्रदेष की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर आग में घी डालने का काम कर दिया जिसकी खनक कल संसद, खासकर राज्यसभा की कार्रवाईयों में भी दिखाई सुनाई पड़ी जब प्रतिपक्ष ने प्रतिरोध स्वरूप सदन का बहिष्कार कर दिया। सब कुछ होहवा जाने के बाद उक्त सांसद को निलंबित करना भाजपा द्वारा लोगों की आंखों में धूल झोंकने के अलावे कुछ भी नहीं है। भाकपा का स्पष्टमत है कि भाजपा-संघ परिवार सत्ता का दुरूपयोग कर समाज में जातीय व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कुत्सित साजिषों को अंजाम दे रहा है, अपने छुट भैया नेताओं से पहले विध्वंसक व विघटनकारी बयान बाजियां करा रहा है, और फिर उन्हें प्रताड़ित करने का नाटकर रहा है। इससे उसका दोहरा चरित्र उजागर होता है। भाकपा के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने उक्त घटना के विरोध में एकजुट प्रतिरोध के लिए पार्टी इकाइयों के साथ-साथ सामाजिक न्याय के समर्थक तमाम लोगों और संगठनांे का आह्वान किया है।
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