- मुजफ्फरपुर की घटना में भी भाजपा संरक्षित सामंती दबंगों का है हाथ.
- 26 जुलाई को होगा राज्यस्तरीय मार्च, काॅ. दीपंकर लेंगे भाग.
पटना 23 जुलाई 2016, भाकपा-माले के आह्वान पर आज पूरे राज्य में गुजरात में दलितों के बर्बर उत्पीड़न के खिलाफ प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया. राजधानी पटना समेत आरा, पूर्णिया, सिवान, कैमूर, नालंदा, मुजफ्फरपुर, पटना जिले के नौबतपुर आदि जगहों पर प्रतिवाद मार्च निकाले गये और इस गंभीर मसले पर अब तक चुप्पी साधे प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया. राजधानी पटना में भगत सिंह चैक पर कार्यक्रम किया गया. जिसका नेतृत्व भाकपा-माले केंद्रीय कमिटी की सदस्य का. सरोज चैबे, राज्य कमिटी सदस्य कमलेश शर्मा, उमेश सिहं, अनीता सिन्हा, पन्नालाल, अनुराधा देवी, विभा गुप्ता, आइसा के मोख्तार, सुधीर, निखिल, आकाश कश्यप, रवि प्रजापति, हिरावल के संतोष झा और इनौस नेता मनीष कुमार सिंह, संतोष पासवान ने किया. पुतला दहन के पूर्व कार्यकर्ताओं ने मार्च भी निकाला. इस बीच वे गुजरात में दलित उत्पीड़न क्यों, प्रधानमंत्री जवाब दो, गौरक्षकों पर लगाम लगाओ, मरे जानवरों को उठाने का सरकारी प्रबंध करो, जीतनमांझी-रामविलास शर्म करो भाजपा से नाता तोड़ो आदि नारे लगा रहे थे. उसके बाद पुतला दहन किया गया. पुतला दहन के बाद आयोजित सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय कमिटी सदस्य काॅ. सरोज चैबे ने कहा कि दलितों पर गुजरात से लेकर बिहार तक जारी अमानवीय दमन अलग-थलग घटनायें मात्र नहीं है, बल्कि वह दलितों के प्रति भाजपा की मानसिकता को जाहिर कर रही है. जो भाजपा गुजरात माॅडल का दंभ भरती थी, उसकी हकीकत पूरी दुनिया के सामने आ गयी है. यह सच सामने आ गया है कि वहां दलितों के साथ किस प्रकार अत्याचार किया जाता रहा है. दरअसल भाजपा को इस देश में न तो अल्पसंख्यक पसंद हैं, न दलित और न ही महिलायें. मायावती के बारे में दिया गया उनकी पार्टी नेता का बयान भी घोर महिला विरोधी है. बिहार के मुजफ्फरपुर में दलित युवक को पेशाब पिलाने की अमानवीय घटना के पीछे भी भाजपा के स्थानीय विधायक का संरक्षण है. ये सारी चीजें साबित करती हैं कि भाजपा एक नंबर की दलित-अल्पसंख्यक व महिला विरोधी पार्टी है, जो देश में भगवा राष्ट्रवाद थोपना चाहती है. वह ‘हिंदुत्व’ के नाम पर चाहती है कि जाति व्यवस्था बरकरार रहे. गाय का चमड़ी उतारने का काम दलित करते रहे. लेकिन अब ये सब नहीं चलने वाला है. यह बेहद स्वागत योग्य है कि गुंजरात के दलितों ने भाजपा जैसी ताकतों को सबक सिखाया है और उन्होंने पुरानी अमानवीय परंपराओं का ढोने से इंकार कर दिया है.
राज्य कमिटी सदस्य कमलेश शर्मा ने कहा कि यदि भाजपा दलितों व अल्पसंख्यकों की दुश्मन नंबर 1 पार्टी है, तो लालू अथवा नीतीश भी उसके हितैषी नहीं है. भले लालू-नीतीश ‘सामाजिक न्याय’ का दंभ भरते हों, लेकिन पारू थाना प्रभारी की हरकतों से यह साफ प्रतीत होता है कि प्रशासन भी दबंगों के पक्ष में खड़ा है. यह कैसी सामाजिक न्याय की सरकार है, जिसमें दलितों का मुकदमा दर्ज नहीं होता, जबकि सामंती-अपराधी खुलेआम घुम रहे हैं. काॅ. उमेश सिंह ने कहा कि हैदराबाद वि.वि. के छात्र रोहित वेमुला ने जिस रास्ते को दिखलाया है, आज वह पूरे देश में स्थापित हो रहा है. गुजरात के दलित उभार ने रामविलास व जीतनराम जैसे तथाकथित दलित नेताओं के मुंह पर भी करारा तमाचा मारा है, जो क्षुद्र स्वार्थ में अब तक भाजपा के साथ बने हैं. यदि इन नेताओं को थोड़ा भी शर्म है, तो इन्हें भाजपा से अविलंब संबंध तोड़ लेना चाहिए और दलित जनमत का सम्मान करना चाहिए. सभा को का. अनीता सिन्हा ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि गुजरात हो या फिर बिहार, हर जगह भाजपाई ताकतें घृणित स्तर पर उतरकर दलितों पर दमन ढा रही हैं और उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार कर रही है. यह बेहद शर्मनाक है कि आजादी के इतने सालों बाद भी इस देश में दलितों को सामंती ताकतों के बर्बर जुल्म से निजात नहीं मिल सका है. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां पारू के स्थानीय भाजपा विधायक अशोक सिंह के संरक्षण में इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया गया, वहीं दूसरी ओर उसी अशोक सिंह के दवाब में प्रशासन ने इस घटना का एफआईआर दर्ज करने तक से इंकार किया. जबरदस्त प्रतिरोध के बाद ही प्रशासन केस लेने को तैयार हुआ. इससे फिर से साबित होता है कि ‘सामाजिक न्याय’ का दावा करने वाली नीतीश सरकार भी सामंती ताकतों के सामने घुटने टेक चुकी है. आरा में पुतला दहन कार्यक्रम का नेतृत्व मनोज मंजिल, आइसा के राज्य सचिव अजीत कुशवाहा, कयामुद्दीन अंसारी, दिलराज प्रीतम आदि नेताओं ने किया. वहीं सिवान में पूर्व विधायक अमरनाथ यादव व जिला सचिव नईमुद्दीन अंसारी के नेतृत्व में पुतला दहन कार्यक्रम किया गया. बिहारशरीफ में कमरूद्दीनगंज स्थित माले कार्यालय से प्रतिवाद मार्च निकला, जिसका नेतृत्व मकसूदन शर्मा, पाल बिहारी लाल, मनमोहन कुमार आदि नेताओं ने किया. पटना जिले के नौबतपुर में काॅ. जलेश्वर प्रसाद, त्रिभुवन प्रसाद, देवेन्द्र वर्मा, कृपानारायण सिंह आदि ने पुतला दहन का नेतृत्व किया.
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