नयी दिल्ली, 20 जुलाई, हॉकी के सुपरस्टार खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद का गुड़गांव के एक अस्पताल में बुधवार सुबह निधन हो गया। 56 वर्षीय पूर्व खिलाड़ी पिछले कुछ समय से वह लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे। शाहिद हाल ही में अपनी बीमारी और आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पाने के कारण सुर्खियाें में आये थे जिसके बाद सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक मदद दी गई और गुड़गांव के एक अस्पताल में उपचार के लिये लाया गया था। अस्सी के दशक के बेहतरीन हॉकी खिलाड़ियों में शुमार शाहिद की हालत गंभीर चल रही थी और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था जहां बुधवार सुबह करीब 10 बजकर 45 मिनट पर उनका निधन हो गया। शाहिद के पार्थिव शरीर को वापिस उनके गृहनगर वाराणसी ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मॉस्को में हुये 1980 ओलंपिक में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले शाहिद को दुनिया के बेहतरीन ड्रिबलरों में गिना जाता है।
काफी अर्से से लीवर की बीमारी से जूझ रहे शाहिद को गंभीर हालत के बाद जून में ही गुड़गांव के एक अस्पताल में बेहतर उपचार के लिये भर्ती कराया गया था। रेलवे में खेल अधिकारी के रूप में कार्यरत शाहिद को वर्ष 1986 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था। शाहिद से रियो में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रही भारतीय हॉकी टीम और खेल मंत्री विजय गोयल ने भी हाल ही में मुलाकात की थी। वर्ष 1982 और 1986 में देश को एशियाई खेलों में पदक दिलाने वाले शाहिद का जन्म वर्ष 1960 में 14 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उन्होंने मात्र 19 वर्ष की आयु में ही वर्ष 1979 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपना पदार्पण कर लिया था। वह पहली बार जूनियर विश्वकप में फ्रांस के खिलाफ उतरे। इसके बाद उन्होंने मलेशिया में चार राष्ट्रों के टूर्नामेंट के दौरान वाहवाही बटोरी। देश के बेहतरीन ड्रिब्लर शाहिर अपनी इसी प्रतिभा के दम पर वर्ष 1980 की ओलंपिक टीम का हिस्सा बने और भारत को ओलंपिक हॉकी में आखिरी स्वर्ण पदक है। उनके इस प्रदर्शन के लिये वर्ष 1980-81 में अर्जुन अवार्ड और फिर 1986 में पद्मश्री से नवाजा गया। शाहिद के साथ टीम के अन्य खिलाड़ी जफर इकबाल को बेहतरीन जोड़ी माना जाता था। खासतौर पर एशियाई खेलों के दौरान दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन काबिलेतारीफ रहा था।
शाहिद से कुछ दिन पहले अस्पताल मिलने पहुंचे जफर ने भी इस खबर पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा“ मैं शाहिद के निधन की खबर से बहुत दुखी हूं। वह मेरे सबसे करीबी टीम साथी थे और हमने मिलकर कई वर्ष साथ खेला है।” भारतीय टीम का रियो ओलंपिक में नेतृत्व करने जा रहे गोलकीपर पी आर श्रीजेश , राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के कोच पुलेला गोपीचंद और देश के खिलाड़ियों ने हाॅकी के इस जादूगर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। गोपीचंद ने कहा“ मुझे यह खबर सुनकर गहरा झटका लगा है। यह हमारे लिये ही नहीं बल्कि पूरे खेल जगत के लिये बड़ी क्षति है। शाहिद हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक थे और उन्होंने अपने खेल से देश को गौरवान्वित किया था।” श्रीजेश ने कहा“मेरे पास तो शब्द ही नहीं है। हमने हाल ही में उनसे मुलाकात की थी और उस समय उनकी हालत बहुत गंभीर थी। भारतीय हॉकी के लिये यह बहुत बड़ी क्षति है।”
काफी अर्से से लीवर की बीमारी से जूझ रहे शाहिद को गंभीर हालत के बाद जून में ही गुड़गांव के एक अस्पताल में बेहतर उपचार के लिये भर्ती कराया गया था। रेलवे में खेल अधिकारी के रूप में कार्यरत शाहिद को वर्ष 1986 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था। शाहिद से रियो में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रही भारतीय हॉकी टीम और खेल मंत्री विजय गोयल ने भी हाल ही में मुलाकात की थी। वर्ष 1982 और 1986 में देश को एशियाई खेलों में पदक दिलाने वाले शाहिद का जन्म वर्ष 1960 में 14 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उन्होंने मात्र 19 वर्ष की आयु में ही वर्ष 1979 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपना पदार्पण कर लिया था। वह पहली बार जूनियर विश्वकप में फ्रांस के खिलाफ उतरे। इसके बाद उन्होंने मलेशिया में चार राष्ट्रों के टूर्नामेंट के दौरान वाहवाही बटोरी। देश के बेहतरीन ड्रिब्लर शाहिर अपनी इसी प्रतिभा के दम पर वर्ष 1980 की ओलंपिक टीम का हिस्सा बने और भारत को ओलंपिक हॉकी में आखिरी स्वर्ण पदक है। उनके इस प्रदर्शन के लिये वर्ष 1980-81 में अर्जुन अवार्ड और फिर 1986 में पद्मश्री से नवाजा गया। शाहिद के साथ टीम के अन्य खिलाड़ी जफर इकबाल को बेहतरीन जोड़ी माना जाता था। खासतौर पर एशियाई खेलों के दौरान दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन काबिलेतारीफ रहा था।
शाहिद से कुछ दिन पहले अस्पताल मिलने पहुंचे जफर ने भी इस खबर पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा“ मैं शाहिद के निधन की खबर से बहुत दुखी हूं। वह मेरे सबसे करीबी टीम साथी थे और हमने मिलकर कई वर्ष साथ खेला है।” भारतीय टीम का रियो ओलंपिक में नेतृत्व करने जा रहे गोलकीपर पी आर श्रीजेश , राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के कोच पुलेला गोपीचंद और देश के खिलाड़ियों ने हाॅकी के इस जादूगर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। गोपीचंद ने कहा“ मुझे यह खबर सुनकर गहरा झटका लगा है। यह हमारे लिये ही नहीं बल्कि पूरे खेल जगत के लिये बड़ी क्षति है। शाहिद हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक थे और उन्होंने अपने खेल से देश को गौरवान्वित किया था।” श्रीजेश ने कहा“मेरे पास तो शब्द ही नहीं है। हमने हाल ही में उनसे मुलाकात की थी और उस समय उनकी हालत बहुत गंभीर थी। भारतीय हॉकी के लिये यह बहुत बड़ी क्षति है।”
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