नयी दिल्ली, 24 जुलाई, प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री के पद को प्रधानसेवक करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत माँगी गयी जानकारी के जवाब में आया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से मांग की गयी थी कि ऐसे दस्तावेज संलग्न किये जायें जिनसे पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दरअसल प्रधानमंत्री नहीं प्रधान सेवक हैं। आरटीआई आवेदक ने प्रधानमंत्री कार्यालय से यह भी जानना चाहा है कि क्या केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री के पद का नाम बदल करके प्रधानसेवक करने की कोई योजना या प्रस्ताव है और यदि ऐसा है तो तत्संबंधी दस्तावेज दिये जायें। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तर दिया है कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक पदनाम को बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है। अतएव प्रधानमंत्री कार्यालय में मांगी गई सूचना से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं है। श्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हाल के दिनों में प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गये सैकड़ों सवालों में से एक है। यह सवाल संभवत: श्री मोदी के लाल किले की प्राचीर से दिये गये पहले भाषण के मद्देनज़र पूछा गया है जिसमें उन्होंने स्वयं को प्रधानमंत्री के बजाय प्रधानसेवक कहा था।
प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गये कई सवालों में से एक दिलचस्प सवाल यह भी था कि प्रधानमंत्री निवास में रसोईगैस के सिलेण्डर किस प्रकार के और कितने आते हैं, इस पर जवाब आया कि प्रधानमंत्री की रसोई में होने वाला व्यय उनका व्यक्तिगत है और सरकार की ओर से उसमें कोई पैसा खर्च नहीं होता। एक आवेदन में पूछा गया कि एसएमएस या कॉल करके शिकायत दर्ज कराने के लिये प्रधानमंत्री का मोबाइल नंबर क्या है तो जवाब आया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने श्री मोदी को कोई मोबाइल फोन उपलब्ध नहीं कराया है। एक सवाल में पूछा गया कि श्री मोदी ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए कितने दिन का अवकाश लिया, जवाब आया कि एक भी नहीं। प्रधानमंत्री के काम के घंटों के बारे में आये एक आवेदन के जवाब में कहा गया कि वह 24 घंटे हर समय काम पर होते हैं। एक आवेदन में यह भी पूछा गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के इंटरनेट की स्पीड क्या है। इस पर जवाब आया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के इंटरनेट की स्पीड 34 एमबीपीएस है।
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