मुजफ्फरपुर के पारू में दलित युवकों के मुंह में पेशाब करने की घटना ने मानवता को किया शर्मसारः माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

मुजफ्फरपुर के पारू में दलित युवकों के मुंह में पेशाब करने की घटना ने मानवता को किया शर्मसारः माले

  • भाजपा संरिक्षत भूमिहार सामंत-दबंगों ने घटना को दिया अंजाम
  • माले की जांच टीम ने किया घटनास्थल का दौरा. नीतीश कुमार का प्रशासन दबंगों के पक्ष में

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पटना 22 जुलाई 2016, माले राज्य सचिव कुणाल ने मुजफ्फरपुर जिले के पारू प्रखंड के बाबूटोला में भाजपा संरिक्षत भूमिहार सामंतों द्वारा दो दलित युवकों के मंुह में पेशाब करने की घटना की कटु आलोचना की है. उन्होंने कहा कि गुजरात हो या फिर बिहार, हर जगह भाजपाई ताकतें घृणित स्तर पर उतरकर दलितों पर दमन ढा रही हैं और उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार कर रही है. यह बेहद शर्मनाक है कि आजादी के इतने सालों बाद भी इस देश में दलितों को सामंती ताकतों के बर्बर जुल्म से निजात नहीं मिल सका है. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां पारू के स्थानीय भाजपा विधायक अशोक सिंह के संरक्षण में इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया गया, वहीं दूसरी ओर उसी अशोक सिंह के दवाब में प्रशासन ने इस घटना का एफआईआर दर्ज करने तक से इंकार किया. जबरदस्त प्रतिरोध के बाद ही प्रशासन केस लेने को तैयार हुआ. इससे फिर से साबित होता है कि ‘सामाजिक न्याय’ का दावा करने वाली नीतीश सरकार भी सामंती ताकतों के सामने घुटने टेक चुकी है.

माले जांच टीम ने किया घटनास्थल का दौरा 
भाकपा-माले की एक जांच टीम ने आज घटनास्थल का दौरा किया. जांच टीम ने कहा है कि बाबूटोला में दो दलित नवयुवक, जो आपस में साला-बहनोई हैं, राजीव पासवान और मुन्ना पासवान अपनी बाइक से यज्ञ देखने गए थे. जब वे यज्ञ से लौटे तो जहां पर अपनी बाइक खड़ी की थी, उस स्थान पर बाइक नहीं था. वे अपनी बाइक ढूंढने लगे. तभी बगल के सुमन ठाकुर व सुशील ठाकुर ने पूछा क्या ढूंढ़ रहे हो? जब इन दोनों युवकों ने कहा कि हमारी बाइक नहीं मिल रही, तो उन्होंने बाइक दिखलाते हुए कहा कि इसका कागज दिखलाओ. फिर कहने लगे कि यह चोरी का बाइक है और दोनों दलित युवकों की पिटाई करने लगे. उन्हें राॅड से पीटा गया व रूम में बंद कर दिया गया. उसके बाद गांव का मुखिया पति मुकुल ठाकुर पहुंचा और उसने कहा कि इनके मंुह में पेशाब कर दिया जाए. उसके आदेश पर उन दलित युवकों के मुंह में पेशाब कर दिया गया. जब इन युवकों को बचाने के लिए उनके पिता आए तो उनके गर्दन में कपड़ा लपेटकर उन्हें भी पीटा गया. उसके बाद यज्ञ में खड़ी पुलिस ने आकर उन दलित युवकों से कहा कि यहां से भागो.

जब ये दोनों लोग थाना पहुंचे, तो थाना ने अशोक सिंह के दबाव में मुकदमा लेने से मना कर दिया. यहां तक कि उसने आवेदन फाड़ दिया. बाद में प्रतिवाद आंदोलन के बाद मुकदमा दायर किया गया. जांच टीम ने कहा है कि घटना के पीछे दरअसल राजनीतिक दुश्मनी है. पंचायत चुनाव में इन लोगों ने भूमिहार दबंगों को वोट नहीं किया था, जिसका बदला उन्होंने इस पाश्विक तरीके से लिया. यह लोकतंत्र का सरासर अपमान है.  जांच टीम ने थाना प्रभारी को अविलंब निलंबित करने और सभी अभियुक्तों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है. साथ ही, बिहार सरकार से इस तरह की पाश्विक घटनाओं पर रोक के लिए कड़े कदम उठाने की भी मांग की है. जांच टीम में भाकपा-माले जिला कमिटी सदस्य परशुराम पाठक, पारू थाना प्रभारी जलेश्वर पटेल, खेमस के जिला सचिव सीताराम पासवान और सरैया के पार्टी प्रभारी पंकज कुमार शामिल थे.

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