नयी दिल्ली 21 जुलाई, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के ऊना में दलितों की सार्वजनिक रूप से बर्बर पिटाई की घटना की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की विपक्ष की मांग को आज खारिज कर दिया और कहा कि पीडितों को छह महीने के भीतर न्याय मिल जायेगा। श्री सिंह ने राज्यसभा में नियम 176 के तहत दलितों पर अत्याचार पर हुयी अल्पकालिक चर्चा का जबाव देते हुये कहा कि गुजरात की घटना की जितनी भी निंदा की जाये वह कम है और यह मानवता के लिए कलंक है। ऐसी घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए। इस घटना की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जांच एजेंसी की विश्वसनीयता को देखते हुये इस तरह की मांग की जाती है लेकिन सीबीआई को हर मामले की जांच कराने में बहुत अधिक समय लगता है।
इस मामले में फौरी कार्रवाई करने और पीडितों को छह महीने के भीतर न्याय दिलाने के उद्देश्य से इसे सीआईडी को सौंपा गया है और त्वरित अदालत गठित करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि सीआईडी को 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए कहा गया है। उन्होंंने भाजपा शासित राज्यों में दलितों पर बढ रहे अत्याचार के विपक्ष के आरोप को बेबुनियाद बताते हुये कहा कि गुजरात में वर्ष 2015 में अपराध के कुल 979 मामले हुये हैं जबकि बिहार में 6367 और उत्तर प्रदेश 8357 मामले हुये हैं। उन्होंने बसपा नेता मायावती को अपशब्द कहे जाने की निंदा करते हुये कहा कि केवल शारीरिक हिंसा पर ही नहीं बल्कि शाब्दिक हिंसा पर भी गौर करना चाहिए और न:न सिर्फ भारत की बल्कि दुनिया की किसी भी महिला के प्रति इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। श्री सिंह के जबाव देने पर कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने इस घटना में शामिल सभी 40 लोगों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की लेकिन इसी दौरान गृहमंत्री सदन से चले गये। तभी उप सभापति पी जे कुरियन ने विशेष उल्लेख के लिए नाम पुकारा तो कांग्रेस सदस्य सदन से बहिगर्मन कर चले गये।
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