नयी दिल्ली 04 अगस्त, उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को संविधान की वैधता से जुड़ा मसला बताते हुए कहा है कि इसे उनकी जीत अथवा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये। श्री जंग ने अधिकारों को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को अहम और एतिहासिक निर्णय बताते हुये कहा कि इसे लेकर एक साल तक बहस चली। यह संविधान की साख का सवाल था और उन्होंने संविधान की भावना तथा वर्षो से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करते हुए काम किया।
उपराज्यपाल ने कहा कि इस फैसले को उनकी जीत या श्री केजरीवाल के हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये। यह संविधान की वैधता से जुड़ा मसला था। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल निवास में रहकर मैंने संविधान के दायरे में रहकर ही काम किया है और सरकार के काम काज में व्यवधान नहीं डालते हुये गलत चीजों को दुरुस्त करने पर जोर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब सभी चीजें साफ हो गयीं है। मैं यहां राष्ट्रपति का प्रतिनिधि हॅू और संविधान के दायरे में रहकर काम करना मेरा दायित्व है।
दिल्ली सरकार के यह कहने पर कि वह बहमुत से चुनी हुई सरकार है और उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा है। श्री जंग ने कहा,“दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश है । यहां सात संसद सदस्य भी चुनकर आये है और निगमों में भी चुनी हुई सरकार है। अधिकारों को लेकर हम अदालत नहीं गये । हमने तो केवल अदालत में कानून पढकर बताया और कहा कि दिल्ली सरकार ने जहां संविधान का उल्लंघन कर काम किया, उसी पर सवाल खड़े किये।
21 विधायकों के संसदीय सचिव नियुक्त किये जाने के मसले पर पूछे गये सवाल के संबंध में श्री जंग ने कहा कि उनसे इस संबंध में कोई राय नहीं ली गयी और अब यह मामला चुनाव आयोग में है, इसलिए इस संबंध में वह कुछ नहीं कह सकते। दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और नियुक्तियों के बारे में उपराज्यपाल सचिवालय की तरफ से अड़गा लगाये जाने के संबंध में श्री जंग ने कहा कि यह कहना बिलकुल गलत है कि मैंने चपरासियों के तबादलों और नियुक्तियों तक हस्तक्षेप किया । सरकार ने 150 से 200 नियुक्तियों के मामले भेजे जिसमें दानिक्स अफसरों से लेकर ऊपर टाइमस्केल स्तर के अधिकारियों के मसले से जुडे थे। इनमें से केवल चार-पांच को छोडकर किसी पर सवाल खडा नहीं किया गया। उपराज्यपाल निवास की तरफ से सरकार के प्रति एक भी शब्द नहीं कहा गया है। नजीब जंग का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। यह उपराज्यपाल का कार्यालय है और उसकी हिफाजत करना उनका कर्त्तव्य है।
14 विधेयकों के केन्द्र से वापस आने के मसले पर श्री जंग ने कहा कि इस संबंध में पहले भी स्पष्टीकरण दिया जा चुका है और वित्तीय मामलों तथा ऐसे विधेयक जिन्हें लेकर केन्द्र से कोई विरोधाभास है,चार-पांच विधेयक वापस आये है और इसे जून में ही दिल्ली सरकार को भेज दिया गया था लेकिन अभी यह सरकार से वापस नहीं आये हैं। श्री जंग ने कहा,“ मैं यहां राष्ट्रपति का प्रतिनिधि हॅू और हमारे तरफ से कोई पहल नहीं हुई है। दिल्ली की जनता के हितों की रक्षा के लिये संविधान और कानून के दायरे में ही रहकर काम किया है।”
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