पटना 25 नवम्बर, बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज से शुरु हो गया और पहले दिन दोनों सदनों में शोक प्रकाश के बाद बैठक सोमवार पूर्वाह्न तक के लिए स्थगित कर दी गयी । विधानसभा और विधान परिषद में बिहार के पूर्व राज्यपाल डा.ए.आर. किदवई और मो.शफी कुरैशी , पूर्व मंत्री अमरेन्द्र मिश्र , लोकसभा के पूर्व सदस्य युवराज , पूर्व विधायक जवाहर पासवान , यदुवंशी राय और राम इकबाल सिंह वरसी के अलावा इंदौर-पटना रेल हादसे में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी गयी । सदस्यों ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए खड़े होकर एक मिनट का मौन भी रखा । इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही सोमवार 11 बजे दिन तक के लिए जबकि परिषद की कार्यवाही सोमवार 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी । इससे पूर्व विधानसभा में कार्यवाही शुरु होने के बाद सभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि चालू सत्र के दौरान कुल छह बैठकें होंगी और इस दौरान वित्तीय वर्ष 2016-17 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी के व्यवस्थापन के अलावा राजकीय विधेयक एवं गैर सरकारी संकल्प लिये जायेंगे ।
श्री चौधरी ने कहा कि संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली के विस्तार एवं विकास के साथ विधायी निकायों का दायित्व काफी बढ़ गया है जिसमें जनता की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सभी सदस्यों को अधिक संवेदनशील बनकर सदन में विचारों का आदान-प्रदान करना होगा। उन्होंने कहा कि सदन के संचालन की सफलता सत्ता पक्ष एवं प्रतिपक्ष दोनों की सकारात्मक एवं रचनात्मक भूमिका पर निर्भर करती है और उन्हें उम्मीद हैं कि सदन के सफल कार्य संचालन में सभी सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा । सभाध्यक्ष ने इसके बाद विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के तहत अध्यासी सदस्यों के मनोनयन और कार्यमंत्रणा समिति के गठन की घोषणा की । इसके बाद श्री चौधरी ने बताया कि बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों से पारित बिहार लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2016 को राज्यपाल ने पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया है । इसके साथ ही उन्होंने एक संदेश दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि अधिनियम की धारा पांच में कहा गया है .. अधिनियम द्वारा निर्धारित अधिकतम उम्र सीमा के अध्यधीन , अध्यक्ष एवं प्रत्येक सदस्य अपने कार्यकाल की समाप्ति के उपरांत भी , अपने उत्तराधिकारी के पदभार ग्रहण करने तक , अपने पद पर बने रह सकेंगे .. । राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा है कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक में अध्यक्ष या सदस्य के कार्यकाल की समाप्ति के बाद उनके उत्तराधिकारी के चयन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है । उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसे अनंत काल तक के लिए अनुमति मिलने से इस संस्था के प्रति अविश्वास बढ़ेगा और लोगों के मन में शंका उत्पन्न होगी । इससे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा पद के दुरुपयोग की संभावना बढ़ेगी । इसलिए चयन प्रक्रिया पूरी करने के लिए उचित समय सीमा निर्धारित किये जाने की जरूरत है । इसके बाद सभा सचिव ने राज्यपाल से अनुमति प्राप्त अन्य आठ विधेयक बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2016, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (निरसन) विधेयक 2016 , बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2016 , बिहार भूदान रक्ष (संशोधन) विधेयक 2016 , बिहार भूमि सुधार (अधिकतम सीमा निर्धाण तथा अधिशेष भूमि अर्जन) (संशोधन) विधेयक 2016, बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन विधेयक 2016 , बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2016 और बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक 2016 को सदन पटल पर रखा ।
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