नई दिल्ली : नोट बैन के फैसले पर पीएम मोदी के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। 500 और 1000 नोट बैन के 16 दिन बाद प्रधानमंत्री पर देश को गुमराह करने का आरोप लगा है। दूरदर्शन में कार्यरत पत्रकार ने दावा किया है कि पीएम मोदी ने देश की जनता को बरगलाने के लिए अचानक 8 नवंबर की रात 8 बजे घोषणा वाला नाटक किया। पत्रकार सत्येन्द्र मुरली का आरोप है कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 8 नवंबर 2016 को ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ भाषण प्लानिंग के तहत था। 8 नवंबर की रात ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लाइव नहीं था, बल्कि पूर्व रिकॉर्डेड और एडिट किया हुआ था। पीएम का भाषण 8 नवंबर की रात लाइव कहकर चलाया जाना अनैतिक था, साथ ही यह देश की जनता के साथ धोखा भी था।” पत्रकार ने खुलासा करते हुए कहा कि 8 नवंबर 2016 की शाम से कई दिनों पहले ही पीएम का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लिखा जा चुका था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में साफ तौर पर मुद्रा के मामले में निर्णय लेने के आरबीआई के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।
पत्रकार और रिसर्चर सत्येन्द्र मुरली सत्येन्द्र मुरली के मुताबिक इस बारे में आरटीआई के जरिए पूछे जाने पर (PMOIN/R/2016/53416) पीएमओ ने जवाब न देकर टालमटोल कर दिया और आवेदन को आर्थिक मामलों के विभाग और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भेज दिया। उन्होंने इसके लिए बाकायदा आरटीआई ट्रांसफर नंबर DOEAF/R/2016/80904 और MOIAB/R/2016/80180 सार्वजनिक है। पत्रकार सत्येन्द्र का कहना है कि पीएमओ में यह रिकॉर्डिंग हुई थी, इस नाते इसे लेकर जवाब देने का दायित्व प्रधानमंत्री कार्यालय का है। बता दें, ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ देते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि आज मध्य रात्रि यानी 8 नवंबर 2016 की रात्रि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे। यह मुद्राएं कानूनन अमान्य होंगी।
मोदी सरकार ने दावा किया कि नोटबंदी का फैसला पूरी तरह गोपनीय था और इस निर्णय की घोषणा से पूर्व इसके बारे में सिर्फ प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री समेत आरबीआई और वित्त मंत्रालय के कुछ अधिकारियों को जानकारी थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया को बताया कि 8 नवंबर को शाम 6 बजे आरबीआई का प्रस्ताव आया, शाम 7 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई गई, जिसमें मोदी ने मंत्रियों को ब्रीफ किया और रात 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणा कर दी। पत्रकार का कहना है कि पीएम मोदी ने ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ को मीडिया में लाइव बैंड के साथ प्रसारित करने को कहा था, जिसे देश के तमाम चैनलों ने लाइव बैंड के साथ ही प्रसारित किया। पीएम मोदी ने यह सिर्फ दिखावा किया कि मानों उन्होंने अचानक ही रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित किया हो। उन्होंने कहा ‘देश की जनता को भरोसा दिलाने के लिए कि प्रधानमंत्री मोदी ने मामले को बेहद गोपनीय रखा है, इसलिए यह अचानक घोषणा वाला नाटक किया गया, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था’।
पत्रकार ने सवाल उठाते हुए कहा है कि 8 नवंबर 2016 की शाम 6 बजे आरबीआई से प्रस्ताव मंगवा लेने के एक घंटे बाद यानि शाम 7 बजे कैबिनेट की बैठक हुई जो मात्र दिखावा थी, जिसे मोदी ने ब्रीफ किया। उन्होंने कहा ‘मोदी ने कैबिनेट बैठक में बिना किसी से चर्चा किए ही अपना फैसला सुना दिया। यह वही निर्णय था जिसे पीएम मोदी पहले ही ले चुके थे और रिकॉर्ड हो चुका था। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा THE GOVERNMENT OF INDIA (TRANSACTION OF BUSINESS) RULES, 1961 एवं RBI Act 1934 की अनुपालना किस प्रकार की गई होगी? इस मामले में क्या राष्ट्रपति को सूचना दी गई?’ पीएम मोदी के खिलाफ आवाज उठाने वाले सत्येन्द्र मुरली का आरोप है कि “संविधान व नियम-कानूनों को ताक पर रखकर पीएम मोदी ने देश को गुमराह किया है और अपना तुगलकी फ़रमान थोपते हुए, देश में आर्थिक आपातकाल जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। पीएम के फैसले के चलते देशभर में सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।”
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