दिनांक 25 . 11 . 2016 को मिथिलालोक फाउंडेशन के द्धारा दिल्ली के प्रगति मैदान में क्राफ्ट्स म्यूजियम में प्रेस वार्ता का आयोजनकिया गया।इस प्रेस वार्ता के माध्यम से संस्था के संस्थापक चेयरमैन एवं जाने माने लेखक डॉ बीरबल झा ने कहा कि सर ढकने कीपरम्परा सभी समुदायों में रहा है। यह परम्परा मिथिला में प्राचीन काल से है। मिथिला में सर ढकने कि वस्त्र को पाग कहा जाताहैएवं वेद में इसे सिरवस्त्रम कहा गया है । यह पाग मिथिला के आन बान शान से जुड़ा हुआ है। यह यहां की सांस्कृतिक प्रतिक चिन्हहै यह पहले तीन रंगों में था मिथिलालोक ने इसे सात रंगों में बनाया है। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए क्राफ्ट्स म्यूजियम के उप निदेशक श्रीमती निधि कामरा ने कहा कि क्राफ्ट्स म्यूजियम में पहली बार पाग प्रदर्शनी लगाई गई है, जो मिथिला एवं देश कीसंस्कृति के लिए गौरव की बात है। मिथिला के पाग को तीन रंगों से सात रंगों में बनाना एक सुनहरा प्रयास है। पाग एक्सबिशनलगा कर पाग कल्चर को बढ़ाया जा सकता है। वार्ता में उपस्थित डॉ के के मिश्रा ने मीडिया कर्मियों को सम्बोधित करते हुए कहा किपुराने वस्त्र , कागज एवं कूट से पाग बनाया जाता था। अब उसे मिथिलालोक संस्था द्धारा नए वस्त्र एवं बकरम से बनाने का अनूठाकाम है। सर ढकने की परम्परा काफी प्राचीन है। संस्था ने इस परम्परा को बचाने का प्रयास किया है जो की सराहनीय है। पाग हमाराअस्तुति है, हमारी पहचान है।
शुक्रवार, 25 नवंबर 2016
पाग मिथिला की संस्कृति मिथिला की पहचान !
Tags
# देश
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें