प्रद्योत कुमार,बेगूसराय। जब कला धन बढ़ जाता है और देश की अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरा बन जाता है तो इस खतरे से बचने के लिए विमुद्रीकरण की विधि,नीति अपनाई जाती है,इसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को ख़त्म कर देती है और बाज़ार में नई मुद्रा ले आती है इससे काला धन स्वयं ही नष्ट हो जाता है,ये नीतिगत एवं परिभाषित बातें हैं लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या सरकार ने सबके साथ सामान्य रूप से व्यवहार किया है?मोदी सरकार के विमुद्रीकरण का असर बाज़ार और देश पर पड़ा अवश्य है लेकिन सबसे ज़्यादा असर पड़ा है उच्च मध्यवर्गीय परिवार या व्यापारी और निम्न उच्च वर्गीय परिवार या व्यापारी पर, जिनकी आमदनी 20 लाख से लेकर 4-5 करोड़ प्रति वर्ष है ऐसे लोगों की पहुँच सरकार तक नहीं होता है और ना ही सरकार बनवाने में इनका कोई सहयोग होता है,इस तरह के लोग क़ानूनी चक्रव्यूह में हमेशा फंसते है ऐसे ही लोग और इनकी बेचारगी इनके सामने दांत निपोरे खड़ी हो जाती है।
वैसे भी इस देश में हर एक क़ानून का "एंटीडोट" कानून बनने से पहले तैयार हो जाता है कारण सरकार सबके लिए सामान्य रूप से कार्य नहीं करती है।यही सत्ता परिवर्त्तन का सबसे बड़ा कारण भी हो सकता है क्योंकि मोदी समर्थकों की भाषा बदलने लगी है।एक बड़ा व्यापारिक वर्ग जो कल तक कट्टर मोदी समर्थक हुआ करते थे अचानक उनके सरकार विरोधी तेवर हो गए हैं या हो रहे हैं क्योंकि सरकार दोहरी नीति पर कार्य कर रही है।यही रोष सरकार परिवर्तन के मुख्य कारक होंगे तय है क्योंकि बड़े - बड़े औद्योगिक घराना सिर्फ राजनितिक दलों को चुनाव के समय आर्थिक मदद ही कर सकते हैं ना कि वोट दिलवाने में सहायक सिद्ध होंगे।क्या इस कदम से देश का सारा काला धन वापस आ गया?क्या राजनीतिज्ञों के चंगुल में फंसा कला धन वापस आ गया?
क्या सरकार की क़ानून व्यवस्था इतनी मजबूत है कि सारा काला धन निकलवाने में सरकार सक्षम है?हाँ एक बात निश्चित है कि रिश्वत में लिए गए रुपयों का धन सफ़ेद नहीं हो पायेगा कुछ हद तक।ऐसे ढेरों सवाल हैं करती है मोदी सरकार की दिखावटी व्यवस्था।नरेंद्र मोदी हर हाल में सत्ता में चिपके रहने के लिए देश के विकास को छोड़ कर सत्ता में बने रहने के लिए सारे हथकंडे अपनाते रहते हैं।इनकी सरकार के द्वारा,इनकी देख रेख में बनाया गया हर एक व्यवस्था घुमावदार एवं पेंचीदा है जिसमें आपको समस्या का सामाधान नहीं बल्कि एक और समस्या आपके सामने खड़ी मिलेगी।आप देख लेंगे कि 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले 2017 के अंत से देश के आम लोगों के लिए जनहित सम्बंधित कार्य शुरू हो जाएगा ताकि सत्ता में फिर से वापसी हो जाय,लेकिन,मोदीजी ये जो जनता है सब जानती है...अंदर क्या है, बाहर क्या है सब पहचानती है.........????
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