- कई संगठनों ने बंद का किया समर्थन.
पटना 25 नवम्बर 2016, नोटबंदी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद के तहत वाम दलों के 28 नवंबर के बिहार बंद को कई संगठनांे ने अपना समर्थन व्यक्त किया है और सक्रिय तौर पर बंद में हिस्सा लेने का फैसला किया है. अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा, राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद व राज्य सचिव गोपाल रविदास ने संयुक्त प्रेस बयान जारी कहा कि उनका संगठन वाम दलों के बिहार बंद का पूरी तरह समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर मजदूर वर्ग और मिहनतकश समुदाय पर ही पड़ा है. दिहाड़ी मजदूर, खेत मजदूर, किसान, मछलीउत्पादक, मनरेगा मजदूर, कारखाना वर्कर आदि मिहनतकश समुदाय के पास विनिमय का एक मात्र साधन कैश ही था, लेकिन सरकार ने एक झटके में इस तबके को तबाह कर दिया है. वे बेहद कष्ट और अनकही पीड़ा से गुजर रहे हैं. अखिल भारतीय किसान महासभा ने भी बंद का समर्थन किया है. किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव काॅ. राजाराम सिंह, राज्य सचिव रामाधार सिंह व प्रदेश अध्यक्ष विशेश्वर यादव ने कहा है कि नोटबंदी ने किसानों की हालत बद से बदतर कर दी है. यह बुआई का समय है, लेकिन किसानों को न तो खाद मिल रहा है और ही बीज. इसका बेहद नकारात्क असर खेती पर पड़ेगा. सहकारी बैंकों द्वारा कैश ट्रांसफर बेहद देरी से उठाया गया कदम है, जबकि किसानों का सबसे जीवंत संबंध इसी बैंक से होता है. इसलिए सरकार को किसानों के सभी कर्जे तत्काल माफ करने चाहिए.. ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी और राज्य सचिव शशि यादव ने भी बंद का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार के एक फैसले की वजह से आज सारी महिलायें शक के घेरे में आ गयी हैं. उनका धन काला धन साबिज हो गया है, लेकिन असली काले धन वाले चैन की नींद सो रहे हैं. इसके खिलाफ देश की जनता 2 नवंबर को जोरदार प्रतिवाद दर्ज करेगी और बिहार बंद ऐतिहासिक तौर पर सफल रहेगा.
बंद के समर्थन में चला प्रचार
वहीं, सीपीआई, सीपीआई (एम), भाकपा-माले, एसयूसीआई (सी), आरएसपी और फारवर्ड ब्लाॅक के कार्यकर्ताओं ने बंद के समर्थन में प्रचार गाड़ी निकाला और कई जगहों पर नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नोटबंदी कालाधन वापसी के लिए नहीं, बल्कि इसकी आड़ में कारपोरेट घरानों को पैसा दिलाने के लिए मुद्रा का गंभीर संकट झेल रहे सरकारी बैंकों को नया जीवन प्रदान करने की कोशिश है. पनामा लीक में आए विदेशों में काला धन रखने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, सहारा बिड़ला डायरी के अनुसार अवैध धन लेने वालों की जांच करके आपराधिक मुकदमा चलाने, नोटबंदी के कारण मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने व जिनकी रोजी-रोटी प्रभावित हुई उन्हें वाजिब राहत देने, सहकारी बैंकों को तत्काल चालू करने की मांग सरकार अविलंब पूरा करे.
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