नयी दिल्ली, 24 नवम्बर, नाबालिग से बलात्कार के आरोपी बिहार के विधायक राजबल्लभ यादव को फिलहाल जेल में ही रहना होगा, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने जमानत पर रिहाई के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को आज निरस्त कर दिया । न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से निलंबित नवादा के विधायक की जमानत के खिलाफ बिहार सरकार की अपील मंजूर कर ली। शीर्ष अदालत ने जमानत संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश को पटलते हुए राजबल्लभ यादव को जेल में ही रखे जाने का आदेश दिया। न्यायालय ने पूछा कि क्या यादव जेल से बाहर हैं, इस पर उनके वकील ने नहीं में जवाब दिया, तो शीर्ष अदालत ने कहा,“अभी उन्हें जेल में ही रहने दें।” बिहार सरकार की अपील की सुनवाई के दौरान गत आठ नवम्बर को शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी और विधायक को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था।
राजबल्लभ ने आदेश पर अमल करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कल हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि यह मामला नाबालिग के साथ बलात्कार और बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्सो) कानून 2012 से जुड़ा है और उसे यह भी देखना है कि इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई हो। हालांकि राजबल्लभ के वकील ने दलील दी थी कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, उनके मुवक्किल बिहार से बाहर रहने को तैयार हैं, इसलिए उनकी जमानत रद्द न की जाए। वहीं, बिहार सरकार की ओर से कहा गया था कि राजबल्लभ की जमानत रद्द की जानी चाहिए। राज्य सरकार की दलील थी कि भले ही पीड़िता के न्यायालय में बयान दर्ज हो गए हैं, लेकिन अब भी कई अहम गवाहों के बयान दर्ज होने हैं। राजबल्लभ इस मामले की सुनवाई और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। यहां तक कि उन्होंने जेल में भी सारे नियमों को ताक पर रख दिया था। गौरतलब है कि पीड़िता ने नालंदा महिला थाने में नौ फरवरी को दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करायी थी, जिसमें उसने आरोप लगाया है कि गत छह फरवरी को बिहारशरीफ के धनेश्वर घाट मुहल्ले की एक महिला उसे एक जन्मदिन की पार्टी में ले जाने के बहाने गिरियक ले गयी और वहां उसे (पीड़िता को) राजबल्लभ के हवाले कर दिया, जिसके बाद विधायक ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
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