मधुबनी, 26 नवम्बर 2016; आज समाहरणालय सभा कक्ष में जिला पदाधिकारी, मधुबनी, श्री गिरिवर दयाल सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर एक गोष्ठी आयोजित की गई। जिसका विषय थाः- ‘‘रिपोर्ट फ्राम कंफ्लिक्ट एरिया ए चैलेंज टू मीडिया’’। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक, मधुबनी श्री दीपक बरनवाल भी उपस्थित थे। अपने अध्यक्षीय संबोधन में जिला पदाधिकारी ने कहा कि संधर्ष सिर्फ भौतिक रूप में नहीं होता है, विचारों के रूप में भी होता है। पत्रकारों को बहुत कठिन एवं दुरूह परिस्थितियों में रिपोर्टिग करनी होती है। उन्हें सामाजिक जवाबदेही और नैतिकता दोनों का साथ-साथ निर्वहन करना पडता है। उन्होंने कहा कि यहाँ विद्वतजन के विचार-मंथन से जो निष्कर्ष निकलेगा उससे जिला प्रशासन भी लाभान्वित होगा। जिला पदाधिकारी ने इस अवसर पर सारे पत्रकारों को जिला प्रशासन की ओर से बधाई दी।
पुलिस अधीक्षक श्री दीपक बरनवाल ने कहा कि कंफ्लिक्ट शब्द का दायरा बहुत बडा है। पत्रकारों को कंफ्लिक्ट क्षेत्र से रिर्पोट करने में अपनी निष्पक्षता को बचाए रखनी चाहिए। श्री धरनीधर नारायण सिंह, जो पूर्व मुख्यमंत्री श्री जगन्नाथ मिश्रा एवं रूसी मोदी के प्रेस सचिव रह चुके है, ने कहा कि बी.बी.सी. लंदन और एसोसिएटेड प्रेस, अमेरिका के संवाददाताओं को कंफ्लिक्ट एरिया से रिपोटिंग करने के लिए खास तरह का अलग से प्रशिक्षण दिया जाता है। इस अवसर पर उपस्थित राजनीति विज्ञान, ल.ना.मिथिला विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी प्रोफेसर डा. जितेंद्र नारायण ने कहा कि पवित्र भाव से निभाया गया दायित्व धर्म है। पत्रकारिता में भी धर्म का पालन करना चाहिए। पत्रकारिता पूरी तरह निष्पक्ष नहीं हो सकती क्योंकि पत्रकार भी अपनी संस्कृति से बंधे हुए है। लेकिन पत्रकारों का काम तथ्यों का सही ढंग से विश्लेषण करना है।
कंफ्लिक्ट शब्द का दायरा बहुत बडा है। सीमा पर शहीद हुआ जवान हमारे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन विचारो की भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं है। एक विचार क्रांति ला सकता है। जहाँ तर्क-विर्तक समाप्त हो जाता है, वहाॅँ की संस्कृति मिट जाती है। कम्युनिष्ट चीन इसलिए समाप्त नहीं हुआ क्योंकि विचारों का संधर्ष वहाँ जिंदा रहा। हम भाग्यशाली हैं कि हम हिंदुस्तानी हैं तथा मिथिलांचल में है। यहाँ राजा जनक के दरबार में खडा होकर अष्टावक्र उपस्थित सारे विद्वानों को भौंचक कर देते है। हम उस देश के है जहाँ एक बालक पिता से प्रश्न करते-करते यमराज से प्रश्न करने पहुँच जाता है। उन्होंने सारे पत्रकारों को बधाई देते हुए कहा कि निहित स्वार्थी तत्वों के साथ आपका संघर्ष चलता रहेगा। आज पत्रकार दिन की रोशनी में मारे जा रहे हैं। महाराष्ट्र में कई पत्रकार वैचारिक संघर्ष के कारण मारे गए हैं। पत्रकारों का नमन करने का अवसर हैं समुद्र में गोता मारकर मोती ठँूठने में जान जाने का भी डर रहता ही है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की पत्रकारिता आजादी से जुडी हुई है। गाॅधी, लोकमान्य तिलक सभी ने आजादी की लडाई में पत्रकारिता का सहारा लिया। पत्रकारों की भूमिका मार्गदर्शक की है। कार्यक्रम का प्रारंभ विषय प्रवेश कराने के साथ टाईम्स आँफ इंडिया के संवाददाता श्री चंन्द्रशेखर झा ‘आजाद’ के संबोधन से हुआ। जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ने स्वागत संवोधन तथा श्री आशुतोष सिंन्हा, ब्यूरो दैनिक भाष्कर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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