नई दिल्ली। फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने स्कारलेस (बिना किसी निशान के) के द्वारा उज्बेकिस्तान से आए एक युवा, जो जन्म के समय से ही आट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) से पीड़ित था, का सफलतापूर्वक इलाज किया। इस सर्जरी टीम का नेतृत्व फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर, कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी डाॅ. युगल मिश्रा कर रहे थे। पिछले दो साल से छाती में बाईं ओर दर्द से पीडित 18 वर्षीय तोशिकिनोव डोनियोर को स्थानीय डाॅक्टरों से परामर्श के बाद पता चला कि वह आट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) जन्म जात विकार से पीडित है, डाॅ. मिश्रा संपर्क के बाद उन्होंने इस चुनौती को स्वीकारा और इलाज हेतु चुनौतीपूर्ण गैर-पारंपरिक सर्जरी करने के लिए बेहद इनोवेटिव तरीका अपनाया।
फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी डाॅ. युगल मिश्रा कहते हैं, ’’इस सर्जरी में कई चुनौतियां थीं जैसे हार्ट पोर्ट डालने के लिए मिनिमल इन्वेसिव उपकरणों का इस्तेमाल; इलाज की जगह में दृश्यता और सर्जरी करने के लिए पेरिफेरल बाइपास करना। इस तरीके की सफलता से हम ऐसी समस्या से जूझ रहे अन्य रोगियों का भी स्कारलेस तरीके से इलाज कर सकेंगे।’’रोगी की छाती पर जो चीरा लगाया गया वह लगभग नहीं के बराबर था क्योंकि यह एरोल के फोल्ड में था, जो निपल के बिलकुल नीचे होता है। 4 से 5 सेंटीमीटर लंबा यह चीरा जन्म के समय के किसी निशान जैसा लगता था। एब्सोर्बेबल और मेल्टिंग टांकों की मदद से समय के साथ यह चीरा भी भर जाएगा।
फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट के जोनल डायरेक्टर डाॅ. सोमेश मित्तल ने कहा, ’’यह हमारी एक और उपलब्धि है। फोर्टिस एस्काॅट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने हमेशा ही कार्डिएक इलाज में नए इनोवेटिव तरीकों का इस्तेमाल किया है। देश में पहली बार ऐसी सर्जरी किए जाने से हमने एक बार फिर साबित कर दिया कि हमारे डाॅक्टरों के पास बेजोड़ कौशल और प्रतिभा है, जिसका इस्तेमाल वे अपने रोगियों को बेहतर बनाने के लिए करते हैं।’’
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