रांची 23 नवंबर, झारखंड सरकार ने उच्च शिक्षा तक आदिवासी समुदाय के छात्रों की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ऋण उपलब्ध कराने के लिए अलग कोष का गठन करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में आज यहां हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई और कहा गया कि सरकार की इस पहल के तहत उच्च शिक्षा के लिए आदिवासी छात्रों को आसानी से ऋण मिल सकेगा। इसके अंतर्गत ऋण चुकाने की जमानत राज्य सरकार देगी। छात्रों के ऋण अदायगी से चूकने की स्थिति में सरकार द्वारा गठित कोष से बैंकों को ऋण का भुगतान किया जाएगा। झारखंड की मौजूदा शिक्षा नीति के तहत बैंक 7.50 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण पर गारंटी नहीं मांगती लेकिन इससे अधिक के ऋण के लिए छात्रों को गारंटी देनी होती है। बैठक में उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत आदिवासी छात्रों को राज्य सरकार की गारंटी पर ऋण उपलब्ध कराने की स्कीम शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए गठित कोष में 50 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को भी शामिल किया जाएगा। गौरतलब है कि छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) के कारण बैंक आदिवासी छात्रों को जमीन की गारंटी पर ऋण देने से परहेज करते रहे हैं। इसके मद्देनजर आदिवासी सलाहकार परिषद् की बैठक में उच्च शिक्षा के लिए आदिवासी छात्रों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के मुद्दे पर सलाह देने के लिए राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।
बैठक के दाैरान बैंकों को शिक्षा ऋण मंजूर करने और ऋण उपलब्ध कराने में हो रहे विलंब का कारण बताने के लिए एक अलग वेब पोर्टल बनाने का निर्देश दिया गया। वहीं, गुमला जिले के खूंटी में एक आदिवासी विश्वविद्यालय स्थापित करने और प्रत्येक विश्वविद्यालय में स्टार्टअप केंद्र बनाने का भी फैसला किया गया। श्री दास ने कहा कि अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को कारोबार करने के उद्देश्य से ऋण उपलब्ध कराने के मुद्दे पर सलाह देने के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, “बदलते परिदृश्य में प्रत्येक व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता है। सरकार राज्य के टैलेंट को आगे बढ़ने में धन के अभाव को कभी भी आड़े नहीं आने देने के लिए प्रतिबद्ध है। आदिवासी समुदाय के बच्चे काफी तेजी और बुद्धिमान होते हैं लेकिन धनाभाव के कारण उन्हें अच्छे शिक्षण संस्थानों में प्रवेश नहीं मिल पाता। आदिवासी हमेशा एक वोट बैंक की तरह इस्तेमाल होते रहे हैं। किसी ने आज तक उनके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कुछ भी नहीं किया। लेकिन झारखंड की वर्तमान सरकार आदिवासी समुदाय के लोगों और उनके बच्चों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें