जबलपुर, 28 जनवरी, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश के धार की एक महिला अधिवक्ता की ओर से दायर तत्कालीन जिला न्यायाधीश पर यौन प्रताड़ना के आरोप संबंधित याचिका पर प्रशासनिक कमेटी की जांच का हवाला देते हुए दखल देने से इंकार करते हुए उसे खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व न्यायमूर्ति एचपी सिंह की युगलपीठ ने बुधवार को पारित अपने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने जांच में आरोपों को असत्य पाया था। युगलपीठ ने ऐसी स्थिति में याचिका में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए उसे खरिज कर दिया। युगलपीठ ने याचिकाकर्ता महिला अधिवक्ता को यह स्वतंत्रता अवश्य दी है कि वह भारतीय दंड संहिता में मौजूद विकल्पों के तहत कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है। धार जिले की 42 वर्षीय महिला अधिवक्ता की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वर्तमान में उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ में विजिलेंस अधिकरी के रूप में पदस्थ एके तिवारी जब धार जिला न्यायालय में जिला न्यायाधीश (डीजे) के पद पर पदस्थ थे, तो वह उनके न्यायालय में पैरवी के लिए उपस्थित होती थी। महिला अधिवक्ता ने आरोप लगया है कि डीजे बिना बजह उन्हें न्यायालय में बुलाकर खड़ा रखते थे। महिला वकील ने डीजे पर आपत्तिजनक इशारे करने और वकालत में आगे बढ़ने का हवाला देते हुए अपने बंगले पर बुलाने जैसे गंभीर अारोप भी लगाए थे। वकील का आरोप है कि उन्होंने डीजे की बात अनसुनी की, लेकिन इसके बावजूद भी तत्कालीन डीजे का आपत्तिजनक आचरण जारी रहा, जिससे पीडित होकर उन्होंने चार अप्रैल को उच्च न्यायालय में शिकायत भेजी। शिकायत पर जांच करते हुए इंदौर खण्डपीठ के रजिस्ट्रार विजिलेंस ने 15 सितम्बर को उनके बयान लिये। महिला ने आरोप लगाया है कि उसने पुलिस महानिरीक्षक इंदौर को लिखित शिकायत भेजी थी, इसके बावजूद उनका प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में पारित एक आदेश का हवाला देते हुए तत्कालीन डीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की राहत चाही गयी थी।
शनिवार, 28 जनवरी 2017
न्यायाधीश के खिलाफ महिला वकील की याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज
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