इलाहाबाद, 30 जनवरी, अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर रेत-कलाकारी में देश का नाम रोशन करने वाले सुदर्शन पटनायक ने कहा है कि बालू से कलाकृति बनाना कठिन काम है लेकिन सतत अभ्यास कर उस पर विजय हासिल की जा सकती है। श्री पटनायक ने कहा कि बालू से कला कृति बनाना कठिन कार्य है क्योंकि बालू सूखने के बाद उड़ने लगती है लेकिन इसकी खासियत है कि इन कलाकृतियों पर प्रकाश पड़ने से उसमें निखार आता है। इस कलाकृति में जितनी अधिक डार्कनेस होगी उतनी ही अच्छी तस्वीर उभरकर सामने आयेगी। श्री सुदर्शन ने गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम किनारे कल मतदाता जागरूकता तथा स्वच्छ गंगा की थीम पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एक वर्कशाप का आयोजन कर उन्हें इसकी बारीकियों से अवगत कराया। वर्कशाप में 72 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। वह माघ मेला में पहली बार आये हैं, अगली बार एक सप्ताह के लिए यहां वर्कशॉप का आयोजन करेंगे।
श्री पटनायक ने कहा कि छात्रों द्वारा बनाई गई एक-एक मूर्ति उनका इनाम है।अगर वे कडी मेहनत करेंगे तो अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति हासिल कर सकते हैं। वह उड़ीसा में बालू से विभिन्न तरह की कलाकृतियां बनाते थे। पहले आकृतियों को बनाने में बहुत समय लगता था, परन्तु धीरे-धीरे अभ्यास हो गया। कोई भी कलाकार बालू से कलाकृति नहीं बनाना चाहता है क्योंकि इसमें समय बहुत लगता है और उसे बहुत देर तक सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती होती है। श्री सुदर्शन ने कहा कि रेत उनकी जिंदगी है । उसने उन्हें देश-विदेश में शोहरत दिलायी। माघ मेला में भीड अधिक होने के कारण बहुत से लोगों ने उनकी कला को सराहा। एक कलाकार के लिए दूसरों की सराहना ही उसकी पूंजी है और उसी से उसका उत्साहवर्धन होता है। यहां बालू से कलाकृति बनाकर मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित किया गया है। इससे बहुत से लोेग जागरूक होंगे। बहुत से मतदाता कला को मन से चाहते हैं इसलिए वे कला के सम्मान में भी वोट करने जायेंगे। श्री पटनायक ने कहा कि देश हित में सभी को वोट करना चाहिए। इससे राष्ट्र को मजबूती मिलती है। संगम तट पर बालू की कलाकृति लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुयी थी, खासकर बच्चों में बालू की आकृति के प्रति अधिक उत्साह था। बालू से ईवीएम मशीन, हाथ की अंगुली में स्याही का निशान, भारत माता की आकृति तथा गंगा जी आकृति विशेष आकर्षण का केन्द्र रही।
श्री सुदर्शन ने कहा कि संगम पवित्र क्षेत्र है। यहां विस्तृत बालू तट होने के कारण सैंडआर्ट का यह बड़ा प्लेटफार्म है। उन्हाेने माघ मेला में स्वच्छता तथा मतदाता जागरूकता के लिए जिलाधिकारी संजय कुमार को धन्यवाद दिया। गौरतलब है कि सुदर्शन पटनायक की कला की देश से ज्यादा विदेश में सराहना हुई। 1995 में पहली बार रेत चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उन्हें अमेरिका से न्योता आया, लेकिन वीजा न मिलने की वजह से वह वहां नहीं जा पाए। उन्हें कई अवार्ड्स मिल चुके हैं। वर्ष 2014 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। 2008 में ओडिशा सरकार द्वारा दिया जाने वाला 'सारला' अवार्ड से भी उनको नवाज़ा गया। कुछ दिन पहले सुदर्शन ने पुरी के समंदर के किनारे सबसे बड़ा रेत सांता क्लॉज बनाया और उसे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में जगह मिली है। सुदर्शन रेत-कलाकारी में नौ बार लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। विदेश में सुदर्शन 50 से भी ज्यादा ईनाम जीत चुके हैं।
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