देश में सुनियोजित दंगा,वो भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में भड़के सिख दंगों पर आधारित फिल्म ‘31 अक्टूबर’ 7 अक्टूबर को रिलीज होगी। फिल्म के निर्माता हैरी सचदेव व निर्देशक शिवाजी लोटन पाटिल हैं। फिल्म में सोहा तजिंदर कौर नाम की हिम्मत वाली पंजाबी महिला के रोल में नजर आएंगी, जबकि वीर दास फिल्म में एक ऐसे सिख का किरदार निभा रहे हैं, जिसका परिवार 1984 के सिख विरोधी दंगों में प्रभावित हुआ था। फिल्म के बारे में सोहा अली खान ने बताया कि ‘ फिल्म सच्ची घटना,दर्दनाक दंगों और उसमें मरे हजारों इंसान की दस्तां हैं। फिल्म में मैंने अबतक अभिनीत किरदारों की लीक से हट कर भूमिका को जिया हैं। जो मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। मेरा भूमिका एक महिला जिसे हालत के चलते अपने पति और बच्चों में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर होना पड़ता है। मैं केवल कल्पना कर सकती हूं कि उस दौर में ऐसा करना किसी भी महिला के लिए कितना कष्टप्रद रहा होगा। सोहा ने फिल्म के बारे में बताया कि ‘31 अक्टूबर’ राजनीतिक स्वार्थ या किसी अन्य एजेंडे को पूरा करने के मकसद से नही बनाई,और ना ही फिल्म इंसाफ के लिए भी नहीं बनाई गई।फिल्म एक सिख परिवार की कहानी सांझा करने के लिए फिल्म बनाई है, जो 1984 की पृष्ठभूमि में निर्मित है। न्याय प्रणाली बेहद जटिल है और हम वकील या न्यायाधीश नहीं हैं। हम कलाकार हैं और हमने एक फिल्म बनाई है इसलिए यह न्याय दिलाने को लेकर नहीं है। यह एक ऐसी फिल्म बनाने को लेकर है, जिसे हम एक थ्रिलर के रूप में देखते हैं। सोहा ने कहा कि लोग फिल्म देखने से पहले ही नाराज हो जाते हैं। लेकिन, विचार रखना जरूरी है, लेकिन आखिरकार हम भी शांति चाहते हैं। मेरा तो कहना है कि फिल्म की कहानी भले ही वास्तविक जीवन पर आधारित है, लेकिन इसे नाटकीय ढंग से फिल्माया गया है, क्योंकि यह भारतीय इतिहास में सबसे बुरे दिनों में से एक बुरे दिन की कहानी है। खास बात यह है कि फिल्म ‘31 अक्टूबर’ को चार महीने के इंतजार और नौ बड़े कट्स के बाद सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिली है।
फिल्म के निर्माता हैरी सचदेव कहते हैं कि फिल्म में नौ बड़े कट्स किए हैं। सेंसर को लगता था कि कुछ डायलॉग और सींस खास समुदाय को भड़का सकते हैं, इसलिए उन्हें कम करना जरूरी है। ऐसे में सेंसर बोर्ड ने कई बार फिल्म जमा करवाई और जिन सींस से उन्हें ऐतराज था, उन सींस को फिल्म से हटवा दिया। हैरी सचदेव कहते हैं कि हम कलाकार हैं और सबको अभिव्यक्ति का पूरा अधिकार है। एक कलाकार होने के नाते हम अपनी अभिव्यक्ति पर सेंसर नहीं, केवल प्रमाणन सर्टिफिकेट की उम्मीद रखते हैं। जबकि, सेंसर बोर्ड ने कई ऐसे दृश्यों को भी कटवा दिया, जो कहानी के हिसाब से बेहद अहम थे।
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