मूर्ति संरक्षण की मीटिंग सिर्फ चाय-समोसे तक सीमित : पुरातत्वविद् शर्मा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 28 जनवरी 2017

मूर्ति संरक्षण की मीटिंग सिर्फ चाय-समोसे तक सीमित : पुरातत्वविद् शर्मा

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दंतेवाड़ा, 28 जनवरी। छत्तीसगढ़ के बस्तर में ढोलकल गणेश प्रतिमा के खाई में गिरने से उठे बवाल के बीच जांच के लिए फरसपाल पहुंचे पद्मश्री पुरातत्वविद् अरुण कुमार शर्मा ने आज पुरातत्व महत्व की धरोहरों के संरक्षण को लेकर सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया। श्री शर्मा ने दो टूक कहा कि पुरातत्व विभाग और संस्कृति विभाग, दोनों ही हमारी प्राचीन प्रतिमाओं और धरोहरों का संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। इन विभागों की सिर्फ मीटिंग होती हैं और इनमें आने वाले अधिकारी, कर्मचारी और नेता समोसा-कचोरी खाकर औपचारिकता पूर्ण करते हैं। श्री शर्मा ने ये आरोप यहां पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के संचालक आशुतोष मिश्रा के समक्ष लगाए। दोनों घोर माओवाद प्रभावित फरसपाल में ढोलकल गणेश प्रतिमा के खंड-खंड में खाई में पाए जाने के हालातों की जांच के लिए आए हैं। नक्सलियों ने यह प्रतिमा पहाड़ी के शिखर से गिरा दी थी। श्री मिश्रा ने उनके आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि सरकार सभी योजनाओं पर काम करती है, बस उनके क्रियान्वयन में में समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि हम छत्तीसगढ़ में पुरातत्व धरोहरों के संरक्षण को लेकर गंभीर हैं। श्री मिश्रा ने कहा कि बस्तर के जंगलों में बिखरी पुरामहत्व की मूर्तियों को संरक्षित करने के लिए बीजापुर और दंतेवाड़ा में जिला स्तरीय म्यूजियम बनाया जाएगा। साथ ही कहा कि प्रत्येक दस गांव के बीच संग्रहालय बनाने की योजना भी है, ताकि गांव के आसपास ही उसे सुरक्षित और संरक्षित रखा जा सके। दोनों ने ढोलकल पहाड़ी से नीचे गिरकर खंड-खंड हुई गणेश प्रतिमा का बारीकी से अवलोकन किया। प्रशासन की अनुमति से थाने में रखी गई खंडित मूर्ति के टुकड़ों को रेत में आपस में जोड़ कर पुरातत्वविद् अरूण शर्मा ने उन्हें प्रतिमा रूप दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिमा के 80 प्रतिशत भाग सुरक्षित हैं। इन टुकड़ों को उपचारित कर दोबारों से प्रतिमा तैयार की जा सकती। इस मूर्ति की सुरक्षा गांव वालों को ही करना पड़ेगा। मूर्ति को देखने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहले मूर्ति पर हथौड़े से प्रहार किया गया है। जब प्रतिमा नहीं टूटी तो इसे रॉड या डंडे से फंसाकर पहाड़ी से नीचे गिराया गया। प्रतिमा के 56 टुकड़े हुए हैं। कोई महत्वपूर्ण भाग गायब नहीं हुआ है, जिससे मूर्ति का मूल रूप प्रभावित हो। ग्राम फरसपाल में पांच गांवों से पहुंचे ग्रामीणों ने कहा है कि यह पुरातन प्रतिमाएं उनकी धरोहर हैं। अब ढोलकल प्रतिमा की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी सामूहिक रूप से की जाएगी। इसमें प्रशासन ने भी ग्रामीणों को सहयोग का आश्वासन दिया। 




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