पूर्व कैग अध्यक्ष विनोद राय अब चलाएंगे बीसीसीआई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 30 जनवरी 2017

पूर्व कैग अध्यक्ष विनोद राय अब चलाएंगे बीसीसीआई

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नयी दिल्ली ,30 जनवरी, पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को चलाने के लिये सोमवार को नियुक्त किये गये चार सदस्यीय प्रशासनिक पैनल का अध्यक्ष बनाया गया। उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई को चलाने के लिये चार सदस्यीय प्रशासनिक पैनल की घोषणा की जिसका प्रमुख विनोद राय को बनाया गया है। इसके अन्य सदस्यों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, पूर्व भारतीय महिला क्रिकेटर डायना इडुलजी और कैग सदस्य विक्रम लिमाये शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने इस महीने के शुरु में बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को लोढा समिति की शिफारिशों को लागू न करने पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुये बर्खास्त कर दिया था। इन दोनों की बर्खास्तगी के बाद अब जाकर यह प्रशासनिक पैनल नियुक्त किया गया है। सर्वोच्च अदालत ने पिछली सुनवाई में बीसीसीआई और सरकार से सीलबंद लिफाफे में प्रशासकों के नाम मांगे थे और कहा था कि वह सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा। उच्चतम न्यायालय ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महा अधिवक्ता के खेल मंत्रालय के सचिव को इस पैनल का सदस्य नियुक्त करने के आग्रह को ठुकरा दिया। 




करियर बैंकर विक्रम लिमाये बीसीसीआई के संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी वित्तीय मामलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यन और अनिल दीवान ने बीसीसीआई में प्रशासकों की नियुक्ति के लिये उच्चतम न्यायालय को नौ नाम सौंपे थे। उच्चतम न्यायालय ने न्यायमित्रों से यह नाम मांगे थे। गत 24 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने प्रशासकों के नामों की घोषणा का फैसला 30 जनवरी तक टाल दिया था। बीसीसीआई और केन्द्र सरकार ने उस समय तर्क दिया था कि उन्हें नाम देने की अनुमति दी जाये। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ,ए एम खानविलकर तथा डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने बीसीसीआई को मौजूदा पदाधिकारियों में से तीन नाम छांटने की अनुमिति दी थी जो निर्धारित प्रक्रिया के बाद योग्य पाये जाते हैं। इन्हें दो फरवरी को होने वाली आईसीसी की कार्यकारी की बोर्ड बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करना है1 अदालत ने पिछली सुनवाई में बीसीसीआई और सरकार से कहा था कि वे सीलबंद लिफाफे में नाम दें ताकि प्रशासकों के पैनल और आईसीसी बैठक में बीसीसीआई प्रतिनिधित्व के लिये विचार किया जा सके। सुनवाई में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कपिल सिब्बल और सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी तर्क रख रख रहे थे।

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