कमजोर वर्ग के छात्रों को शिक्षा से वंचित कर रही है नीतीश सरकार, नीतीश-लालू के सामाजिक न्याय हो रहा पर्दाफाश., मामले को संवेदनशील तरीके से हल करने की पहल की जाती, तो नहीं बिगड़ता मामला., कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर हमला अधिकार रैली का प्रमुख एजेंडा.
पटना 7 फरवरी 2017, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बीएसएससी की परीक्षा में धांधली के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आइसा नेताओं पर सामाजिक न्याय की तथाकथित नीतीश सरकार की पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज की कड़ी भत्र्सना की है और पूरे मामले के राजनीतिक संरक्षण की जांच के लिए उच्चस्तरीय न्यायिक आयोग गठन की मांग की है. उन्होंने कहा कि बीएसएससी की परीक्षा में की गयी धांधली का सबसे गहरा असर कमजोर व दलित-पिछड़ी पृष्ठभूमि से आने वाले छात्र-छात्राओं पर ही पड़ रहा है. जहां नीतीश कुमार ने पूरी शिक्षा व्यवस्था को खुला धंधा बना दिया है, उसमें गरीबों के बच्चे आखिर कहां टिकेंगे. सामाजिक न्याय की दुहाई देने वाली सरकार दरअसल सामाजिक अन्याय की सरकार है. इसके पहले, टाॅपर घोटले के राजनीतिक संरक्षण की जांच से भी सरकार भाग खड़ी हुई है, जिसने बिहार की शिक्षा व्यवस्था की सडांध को उघाड़ दिया था. उन्होंने आगे कहा कि बीएसएससी परीक्षा में हुई धांधली के खिलाफ आइसा के नेतृत्व में छात्र शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. प्रशासन को मसले की गंभीरता को देखते हुए संवेदनशील तरीके से पेश आना चाहिए था, लेकिन उसने एक बार फिर तानाशाही का परिचय दिया. छात्रों पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया. जिसकी वजह से पहले से आक्रोशित छात्र और भी आक्रोशित हो गये. उन्होंने पूरे मामले के राजनीतिक सरंक्षण की जांच के साथ-साथ आइसा नेताओं पर किए गए सभी फर्जी मुकदमों को अविलंब वापस लेने और ऐसे मसलों को संवेदनशील तरीके से हल करने की मांग की है. कमजोर वर्ग के छात्रों की शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार पर लगातार बढ़ते हमले को हमारी पार्टी ने आगामी 19 फरवरी को पटना में आयोजित अधिकार रैली का प्रमुख एजेंडा बनाया है. दलित-आदिवासी व कमजोर वर्ग के छात्रों की छात्रवृति में भी सरकार ने भारी कटौती कर दी है.
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