नयी दिल्ली 10 फरवरी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दाखिला नीति और सीटों की कटौती के मामले को लेकर वहां के शिक्षकों ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर समस्या को सुलझाने की मांग की है ।
जेएनयू शिक्षक संघ की अध्यक्ष आयशा किदवई के नेतृत्व में नौ शिक्षकों के शिष्टमंडल ने कल श्री मुखर्जी से यह अपील की । शिष्टमंडल में प्रोफेसर जयंती घोष, प्रो आदित्य मुखर्जी, प्राे गोपाल गुरु, प्रो विष्णु प्रियदत्त, प्रो उदय कुमार, प्रो विक्रम आदित्य चौधरी, प्रो डी के लोबियाल तथा प्रो रामास्वामी शामिल थे ।
जेएनयू की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि विश्वविद्यालय के विजिटर होने के नाते श्री मुखर्जी से यह अपील की गई है क्योंकि दाखिला नीति को बदलना कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। विज्ञप्ति के अनुसार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कानून 1966 और केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (दाखिला आरक्षण) कानून 2006 के प्रावधानों के अनुसार विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद को ही दाखिले की नीति के बारे में कोई निर्णय लेने का अधिकार है। विश्वविद्यालय के कुलपति इस संबंध में कोई फैसला नहीं ले सकते हैं। इसके अलावा इन नियमों के तहत दाखिले में
सीटों की कटौती भी नहीं की जा सकती है।
शिष्टमंडल ने श्री मुखर्जी काे बताया कि जेएनयू के शिक्षक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 2016 के नियमों को लेकर विचार-विमर्श करने को राजी है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन उनके साथ इस सबंध में बातचीत करने को राजी नहीं है और वह शिक्षकों को इस बात के लिए बाध्य कर रहा है कि वे यूजीसी के नियमों का पालन करें।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि विश्वविद्यालय में पहले से चली आ रही दाखिला नीति को बरकरार रखने और एमफिल तथा पीएचडी में सीटों की कटौती को रोकने के लिए श्री मुखर्जी अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर इस मामले में हस्तक्षेप करें और विश्वविद्यालय की अकादमीक परिसर की 142वीं बैठक को दोबारा बुलाया जाए जिसमें दाखिले की नीति पर फिर से चर्चा हो । गौरतलब है कि पिछले दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन ने पीएचडी तथा एमफिल की सीटों में कमी करने और दाखिला नीति में बदलाव करने की घोषणा की थी जिसका शिक्षक और छात्र विरोध कर रहे हैं ।
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