भारत के पांच राज्यों मे चुनाव के समय और खासकर उत्तर-प्रदेश मे नेताओं के जुवानी जंग के चलते हमे कुछ प्रसंगो पर ध्यान देना होगा। भारत को खतरा राजनीतिक धरातल पर उन राजनेताओं से भी है जिन्होंने येन केन प्रकारेन सत्ता हंासिल करने की योजनायें बना रखी हैं और इनके वक्तव्य कभी-कभी राजद्रोह का रुप ले लेते हैं। इन्होंने वोट की राजनीति के कारण भारत की सुरक्षा, देशभक्ति और राष्ट्रवाद का भी राजनीतिकरण कर दिया है। दिग्विजय सिंह अपने यदा-कदा वक्तव्यों के कारण राजनीति व देश की समरसता में जहर घोलने का काम करते रहते हैं। दिग्विजय सिंह ने उन इस्लामिक कट्टरपन्थियों का कभी बिरोध नही किया जो मज़हबी साम्प्रदायिकता के आधार पर चुनावी प्रचार करते हैं, लेकिन उन्हे कहना जरूर याद रहा कि मध्य-प्रदेश की ए.टी.एस. टीम ने जिन आई.एस.आई. जासूसों को पकड़ा, उनमे से एक भी मुसलमान नही है। इन जैसे नेताओं ने ही आतंकवाद व देश-द्रोह को मज़हब से जोड़ने का प्रयास किया है। दिनांक 1 जुलाई 2013 को बौद्ध-गया मे हुये बम-ब्लास्ट पर दिग्विजय सिंह ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी के इशारे पर यह ब्लास्ट हुआ है, क्यों कि उसके एक दिन पहले मोदी ने बी.जे.पी. कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया था। दिग्विजय सिंह ने मृतक आतंकवादी को ’ओसामा जी’ सम्बोधित किया था और कभी भी वह सेना के शहीदों के घर श्रद्धांजलि देने नही गये। कश्मीर, जो कि भारत का अभिन्न अंग है, उसके लिये दिग्विजय सिंह कहते हैं ’इण्डिया आॅक्यूपाईड कश्मीर,’ जब कि कश्मीर के दूसरे भाग पर पाकिस्तान जबरदस्ती से कब्जा किये हुये है और उसी को पी.ओ.के. (पाकिस्तान आॅक्यूपाईड कश्मीर) कहा जाता है।
कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने 6 नवम्बर 2015 को पाकिस्तानी चैनल पर कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी को हटाये बगैर दोनो देशो के बीच बातचीत नही हो सकती है, आगे जब इंटरव्यू लेने वाले ने उनसे पंूछा कि क्या आप मोदी को हटा सकते हैं तो इस पर अय्यर ने जबाव दिया था कि कांग्रेस को हटाने मे देर होगी, आप लोग हटा दीजिये। गजब है, मंणिशंकर अय्यर दुश्मन देश उकसा रहै हैं कि वह भारत के प्रधानमन्त्री को हटा दे। क्या ऐसा वक्तव्य देशद्रोह की सीमा मे नही आता है ? उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव ने कहा था, ’इस देश मे रहने वाला मुसलमान देशभक्त है ......... अपने को हिन्दू कहने वाले सब दगावाज हैं (देखिये जनसŸाा दि. 11 अक्तूबर 1990) गत अक्टूबर 2016 का यह समाचार, कि पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी आई.एस.आई. के लिये जासूसी करने वाला समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सासंद मुनब्बर सलीम का निजी सचिव फरहत खांन को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था, वह ससंद भवन से गोपनीय दस्तावेज की फोटो स्टेट कराता था तथा उन्हें पाकिस्तानी आई.एस.आई. एजेंटों को सौंप देता था। चिन्तनीय तो यह है कि जब सांसद के निजी-सचिव की यह हरकत है, तब वह स्वयं भी शंका के घेरे मे होंगे। भारत की ससंद भवन पर दिनांक 13 दिसम्बर 2001 को हमला हुआ था और उसका मास्टर माईन्ड अफजल गुरु भारत का ही था। हिज़बुल मुजाहिदीन का कमांडर और 10 लाख का इनामी आतंकवादी बुरहान वानी भी भारत का ही था, जिसे सैना ने मार गिराया। इस्लाम के नाम पर भड़काऊ भाषण देने वाला जाकिर नाईक कहता है कि प्रत्येक मुस्लमान को आतंकवादी होना चाहिये। गत अक्तूबर 2016 मे क्राईम ब्रांच ने खुलासा किया के दिल्ली में रह रहा पाकिस्तानी उच्चायुक्त का अधिकारी महमूद अख्तर पाकिस्तान के लिये भारत में जासूसी करने का अपराध रहा था, वह सेना और रक्षा विभाग की खुफिया जानकारी पाकिस्तान की एजेन्सी आई.एस.आई. को देता था और उसके बदले में रुपये लेता था। इसी कड़ी में दिल्ली की क्राइम ब्रांच ने मौलाना रमजान व सुभाष जांगीर से गुजरात और राजस्थान में भारत सीमा पर बी.एस.एफ. की तैनाती से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज और नक्शे बरामद किये थे व उन्हें तथा उसके साथ महबूब राजपूत को भी गिरफ्तार किया था। दिनांक 17 सितम्बर 2008 को दक्षिण दिल्ली के जामियां इलाके में पुलिस ने हूजी के दो आतंकवादियों को मार डाला था और एक को गिरफ्तार किया था, इनका सम्बन्ध हरकत उल जेहादी इस्लामिया से होते हुये दिल्ली व अहमदाबाद में सिलसिलेवार हुये बम धमाकों से होना बताया गया था, इस मुठभेड़ में पुलिस सब-इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की मृत्यु हो गई थी। इस मुठभेड़ के समय जब पुलिस घनी आबादी वाले क्षेत्र की तलाशी ले रही थी तो वहां के स्थानीय एक विशेष-वर्ग के निवासियों ने तलाशी का बिरोध किया था और नारे भी लगाये थे। शहीद चन्द्रमोहन शर्मा की शहादत पर सुर्खियों की चाह के अतुर तत्समय के समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह ने दिनांक 5 अक्टूबर 2008 को एक टी.वी. चैनल पर वक्तव्य दे डाला था कि शहीद चन्द्रमोहन शर्मा को आतंकवादियों ने नहीं मारा, बल्कि पुलिस ने ही मार डाला है।
जामियां मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली के दो छात्र आतंकवादी हमलों के संदर्भ में जब पकड़े गये थे तो इसके कुलपति मुशीर-उल-हसन ने इन्हें विश्व़िवद्यालय की ओर से कानूनी मदद देने की बात कही थी। जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी दिल्ली की स्टूडेन्ट यूनियन का पूर्व अध्यक्ष एवं सी.पी.आई. की विंग, आॅल इंण्डिया स्टूडेन्ट फेडरेशन का सदस्य कन्हैया कुमार के नेतृत्व में दिनांक 09.09.2016 को यूनिवर्सिटी के अन्दर नारे लगाये गये थे- ’अफजल गुरु हम शर्मिन्दा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं, भारत तेरे टुकड़े होंगे, इन्शा अल्ला इन्शा अल्ला। चिंताजनक यह है कि राजनीतिक क्षेत्र के लोग देशद्रोहियों की ऐसी हरकतों को समर्थन भी देने लगे थे। दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर, मुलायम सिंह यादव, राहुल गान्धी, अखिलेश यादव ऐसी खबरों पर कभी कोई टिप्पणीं नही करते देखे गये हैं। राजनीति मे ये कैसा केरेक्टर है ? फर्ज करें, हम स्वतन्त्र सोच के व्यक्ति हैं, हम किसी राजनीतिक-दल से सम्बन्धित नही हैं, हम राष्ट्रवादी हैं और अपने भारत को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं, हम भारत मे सुख-शान्ति, समृद्धि का साम्राज्य चाहते हैं। परन्तु हम क्या करैं ? हमारा भी तो कुछ दायित्व है। भारत मे अधिकांश मुसलमान सुकून के साथ मिल-जुल कर रहना चाहते हैं। भारत के अनेकों क्षेत्रों में हिन्दू और मुसलमान बड़े ही भाई-चारे के साथ रहते हैं। हिन्दू बेटी हो या मुस्लिम बेटी, दोनों के विवाह कार्यों में हिन्दू-मुसलमान एक दूसरे का हाथ बंटाते हुए देखे जा सकते हैं। मैंने अनेकों मजारों पर हिन्दुओं को माथा टेकते, मोहर्रम के समय श्रद्धापूर्वक ताजियों के नीचे से निकलते, मजार पर चादर चढ़ाते और मुस्लिम ओरतों को देवी माता के सामने हाथ जोड़ते देखा है। लेकिन भारत में राजनीति के सौदागर मुसलमानों के हितेशी होने का दिखावा करते हुये भेद-भाव की खाई बनाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।
लेखक- राजेन्द्र तिवारी, अभिभाषक, छोटा बाजार दतिया
फोन- 07522-238333, 9425116738
मेल : rajendra.rt.tiwari@gmail.com
नोट:- लेखक एक पूर्व शासकीय एवं वरिष्ठ अभिभाषक व राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक आध्यात्मिक विषयों के समालोचक हैं।
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